रहस्यमयी बीमारी से अब तक 50 से ज्यादा मौतें, फोटो ( सो. सोशल मीडिया )
नवभारत इंटरनेशनल डेस्क: अफ्रीकी देश कांगो (DRC) में एक अज्ञात बीमारी ने दहशत फैला दी है। इस संक्रमण की शुरुआत तब हुई जब तीन बच्चों ने चमगादड़ का सेवन किया, जिसके बाद मामलों में तेजी से बढ़ोतरी देखी गई। अब तक 50 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है, और मरीजों की स्थिति इतनी गंभीर है कि संक्रमित होने के 48 घंटों के भीतर अधिकांश की मृत्यु हो रही है। तेज बुखार, उल्टी और आंतरिक रक्तस्राव इस बीमारी के प्रमुख लक्षण हैं।
चौंकाने वाली बात यह है कि जांच के बावजूद वैज्ञानिक अभी तक इस बीमारी के कारण का पता नहीं लगा पाए हैं, क्योंकि मरीजों में इबोला, मारबर्ग या येलो फीवर जैसे घातक वायरस नहीं पाए गए हैं। इस रहस्यमयी बीमारी को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने अलर्ट जारी कर दिया है और इसकी गहन जांच की जा रही है।
इस नए घातक बीमारी का प्रकोप तब सामने आया जब तीन बच्चों ने चमगादड़ का सेवन किया, जिसके बाद संक्रमण तेजी से फैलने लगा। अब तक इस बीमारी के कारण 50 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि कुल 431 मामले दर्ज किए गए हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, यह बीमारी मुख्य रूप से इक्वेटर प्रांत के सुदूर गांवों में पाई गई है।
इस बीमारी के प्रमुख लक्षणों में तेज बुखार, उल्टी और आंतरिक रक्तस्राव शामिल हैं। सबसे चिंताजनक बात यह है कि संक्रमित व्यक्ति की मृत्यु लक्षण प्रकट होने के मात्र 48 घंटों के भीतर हो रही है। डॉक्टर सर्ज नगालेबातो ने इसे बेहद गंभीर स्थिति बताते हुए चिंता जताई है। WHO इस बीमारी की जाँच कर रहा है, लेकिन दूरदराज के इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी के कारण इससे निपटना एक बड़ी चुनौती बन गया है।
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वैज्ञानिकों ने एक अज्ञात बीमारी के लक्षणों में “हैमरेजिक फीवर” जैसी विशेषताएँ पाई हैं, जो आमतौर पर इबोला, मारबर्ग और येलो फीवर जैसी गंभीर बीमारियों से जुड़ी होती हैं। हालांकि, अब तक किए गए परीक्षणों में इन ज्ञात वायरस को इस बीमारी का कारण नहीं पाया गया है, जिससे इसका वास्तविक स्रोत अब भी रहस्य बना हुआ है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के विशेषज्ञ यह जांच कर रहे हैं कि यह कोई नया संक्रमण है या किसी विषैले पदार्थ का प्रभाव।
विशेषज्ञों का मानना है कि पिछले वर्ष कांगो में “डिजीज एक्स” के कारण 143 लोगों की मृत्यु हुई थी, जो दर्शाता है कि नए संक्रमण तेजी से फैल रहे हैं और इन्हें नियंत्रित करना चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है।
पिछले कुछ वर्षों में जानवरों से इंसानों में फैलने वाली बीमारियां, जिन्हें जूनोटिक रोग कहा जाता है, तेजी से बढ़ी हैं। WHO की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दशक में ऐसी बीमारियों में 60% की वृद्धि हुई है। इसका मुख्य कारण जंगलों का तेजी से कटना, वन्य जीवों की घटती संख्या और जलवायु परिवर्तन है, जिससे इंसानों और जंगली जानवरों का संपर्क बढ़ रहा है।
विशेष रूप से कांगो जैसे देशों में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के कारण ये बीमारियां तेजी से फैल सकती हैं। वहां कई लोग जंगली जानवरों का मांस (बुशमीट) खाते हैं, जिससे इबोला, एचआईवी और सार्स जैसी घातक बीमारियों के फैलने का खतरा बढ़ जाता है। WHO ने चेतावनी दी है कि यदि इस रहस्यमयी बीमारी को रोकने के लिए तुरंत और कड़े कदम नहीं उठाए गए, तो यह एक महामारी का रूप ले सकती है।
डॉक्टर और वैज्ञानिक अब तक इस बीमारी के मूल कारण का पता नहीं लगा सके हैं। जब तक इसकी वास्तविक वजह स्पष्ट नहीं होती, तब तक इसका प्रभावी इलाज संभव नहीं है। फिलहाल, डॉक्टर केवल मरीजों के लक्षणों के आधार पर उपचार कर रहे हैं