भारत के UN में स्थायी प्रतिनिधि पी. हरीश
Israel-Palestine Conflict: भारत के यूएन में स्थायी प्रतिनिधि हरीश ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन से कुछ बिंदु निकलकर सामने आ रहे हैं और उन्हें लागू करना जरूरी है। उन्होंने कहा, ‘हमें कागजी समाधानों से संतुष्ट नहीं होना चाहिए, बल्कि व्यावहारिक समाधान प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए।’ इजराइल और फिलिस्तीन के बीच लंबे समय से चले आ रहे संघर्ष का स्थायी समाधान खोजने के उद्देश्य से संयुक्त राष्ट्र में एक उच्च-स्तरीय सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसमें दुनिया के अधिकांश देशों ने भाग लिया।
इस सम्मेलन के दौरान, विभिन्न देशों ने दशकों से चली आ रही इस समस्या पर अपना रुख स्पष्ट किया। भारत ने भी इस सम्मेलन में भाग लिया और इजराइल-फिलिस्तीन विवाद को सुलझाने के लिए टू-स्टेट सॉल्यूशन के लिए अपना समर्थन दोहराया।
भारत ने संयुक्त राष्ट्र में स्पष्ट रूप से कहा कि इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष को सुलझाने के लिए चल रहे वैश्विक प्रयासों को अब बातचीत और कूटनीति के माध्यम से द्वि-राष्ट्र समाधान प्राप्त करने पर केंद्रित होना चाहिए। इसमें यह भी कहा गया कि कागजी समाधानों से संतुष्ट नहीं होना चाहिए, बल्कि व्यावहारिक समाधान खोजने का प्रयास करना चाहिए।
#WATCH | New York | At the United Nations High-Level International Conference on “The Peaceful Settlement of the Question of Palestine and the Implementation of The Two-State Solution”, India’s Permanent Representative to the United Nations, Ambassador Harish P. says, “…Our… pic.twitter.com/vweX5UIJMe — ANI (@ANI) July 30, 2025
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि, राजदूत पार्वथानेनी हरीश ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में फिलिस्तीन समस्या के शांतिपूर्ण समाधान के मुद्दे पर हुई चर्चा इस बात की पुष्टि करती है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का मानना है कि टू-स्टेट समाधान के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन टू-स्टेट समाधान के माध्यम से शांति स्थापित करने की दिशा में अब तक अपनाए गए मार्ग पर विचार करने का अवसर प्रदान करता है।
हरीश ने कहा, ‘अब हमारे प्रयास इस बात पर केंद्रित होने चाहिए कि कैसे संवाद और कूटनीति के माध्यम से टू-स्टेट समाधान लाया जाए और दोनों संघर्षरत पक्षों को एक-दूसरे के सीधे संपर्क में लाया जाए।’ उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में कहा, ‘समर्थन की पुनः पुष्टि ऐसे कदमों के रूप में होनी चाहिए जो टू-स्टेट समाधान का मार्ग दिखाए। हमारा ध्यान और प्रयास ऐसे कदमों और उनके कार्य करने के तरीकों की पहचान करने पर होना चाहिए।’
‘फिलिस्तीन समस्या के शांतिपूर्ण समाधान और द्वि-राज्य समाधान पर न्यूयॉर्क घोषणा’ शीर्षक वाले 25 पेजों के परिणाम दस्तावेजों में भी इस बात पर जोर दिया गया है कि गाजा में युद्ध अब समाप्त होना चाहिए और हमास को सभी बंधकों को रिहा करना चाहिए। 28-30 जुलाई को आयोजित इस उच्च स्तरीय सम्मेलन की सह-अध्यक्षता सऊदी अरब और फ्रांस कर रहे हैं।
आउटकम दस्तावेज में कहा गया है, ‘हमास को गाजा में अपना शासन समाप्त करना होगा और अपने हथियार फिलिस्तीनी प्राधिकरण को सौंपने होंगे।’ इसमें कहा गया है कि युद्धविराम के बाद, फिलिस्तीनी प्राधिकरण को गाज़ा में काम करने के लिए तुरंत एक प्रशासनिक समिति का गठन करना चाहिए।
भारत की ओर से राजदूत हरीश ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन से कुछ कार्य-बिंदु उभर रहे हैं और उन्हें लागू करना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, ‘हमें कागजी समाधानों से संतुष्ट नहीं होना चाहिए, बल्कि व्यावहारिक समाधान प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए, जो वास्तव में हमारे फिलिस्तीनी भाइयों और बहनों के जीवन में बदलाव ला सकें।’ उन्होंने इस ‘महान प्रयास’ में योगदान देने के लिए भारत का पूर्ण समर्थन भी व्यक्त किया।
हरीश ने कहा कि भारत ने कम समय में उठाए जाने वाले कदमों पर स्पष्ट रुख अपनाया है। इनमें तत्काल युद्धविराम, निरंतर मानवीय सहायता, सभी बंधकों की रिहाई और बातचीत का रास्ता शामिल है। उन्होंने कहा कि इन उपायों के अलावा कोई और विकल्प नहीं है।
उन्होंने कहा कि 1988 में भारत उन पहले देशों में से एक था जिसने द्वि-राज्य समाधान के प्रति दृढ़ समर्थन और प्रतिबद्धता के साथ फिलिस्तीन राज्य को मान्यता दी थी। उन्होंने कहा कि भारत मध्य पूर्व में शांति और स्थिरता देखना चाहता है। इसके लिए एक स्थायी समाधान की आवश्यकता है।
मानवीय सहायता बिना किसी बाधा के गाजा तक पहुंचनी चाहिए, इस पर जोर देते हुए भारत ने कहा कि गाजा में फिलिस्तीनियों को भोजन, ईंधन और अन्य बुनियादी वस्तुएं बिना किसी बाधा के मिलनी चाहिए। हरीश ने कहा कि जीवन को बनाए रखने के लिए मानवीय सहायता महत्वपूर्ण है और इसे राजनीति या संघर्ष के दायरे से बाहर रखा जाना चाहिए।
भारत ने चिंता व्यक्त की कि गाजा में मानवीय संकट जारी है, हजारों लोग मारे गए हैं, कई चिकित्सा सुविधाएं नष्ट हो गई हैं और बच्चे 20 महीनों से ज़्यादा समय से स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। भारत ने इस बात पर भी जोर दिया कि बंधकों की दुर्दशा को भुलाया नहीं जाना चाहिए।
भारत ने संयुक्त राष्ट्र में स्पष्ट किया कि आतंकवाद को किसी भी कीमत पर उचित नहीं ठहराया जा सकता, चाहे उसके पीछे कोई बुनियादी कारण हो या कोई राजनीतिक समस्या। इस बात पर जोर देते हुए कि महिलाओं और बच्चों सहित नागरिकों को सामान्य जीवन जीने का अधिकार है, भारत ने कहा कि आने वाले वर्षों में बड़े पैमाने पर पुनर्निर्माण और पुनर्वास की आवश्यकता होगी।
सुरक्षा के महत्वपूर्ण पहलुओं की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए, भारत ने कहा कि एक स्थिर व्यवस्था आवश्यक है जो दोनों पक्षों की सुरक्षा आवश्यकताओं को उचित रूप से पूरा कर सके। किसी भी पक्ष को असुरक्षित महसूस नहीं करना चाहिए। हरीश ने कहा कि मान्यता प्राप्त और परस्पर सहमत सीमाओं के भीतर एक संप्रभु और स्वतंत्र फिलिस्तीनी राज्य की अपेक्षा की जाती है, जो इजराइल के साथ शांति और सुरक्षा के साथ कंधे से कंधा मिलाकर रहे।
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भारत ने आगे कहा कि फिलिस्तीनी लोगों के जीवन के पुनर्निर्माण के लिए सहायता और समर्थन आवश्यक है, लेकिन निवेश और रोजगार के लिए एक अनुकूल आर्थिक ढांचा बनाना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। फिलिस्तीनी लोगों के रोजमर्रा जीवन पर गहरा प्रभाव डालने के लिए भारत कई क्षेत्रों में मानव-केंद्रित परियोजनाओं पर काम कर रहा है। इस मोर्चे पर भारत की कुल प्रतिबद्धता लगभग 160 मिलियन अमेरिकी डॉलर है।