
चीनी राष्ट्रपति और रूसी राष्ट्रपति पुतिन। इमेज-सोशल मीडिया
China Russia Alliance: रूस और चीन केवल व्यापारिक साझेदार नहीं, बल्कि एक सैन्य धुरी बन चुके हैं। यह नाटो के महासचिव मार्क रट्टे का मानना है। उन्होंने जर्मनी के अखबार बिल्ड को दिए इंटरव्यू में स्पष्ट किया कि चीन बहुत करीब से ताइवान के घटनाक्रमों पर नजर रख रहा। चीन की रणनीति हो सकती है कि वह ताइवान पर हमला करने से पहले मॉस्को में कॉल करे और पुतिन को नाटो देशों को यूरोप में उलझाने का निर्देश दे। यह स्थिति नाटो के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी, क्योंकि उसे एक वक्त पर एशिया और यूरोप मोर्चों पर ताकत झोंकनी पड़ सकती है।
मार्क रट्टे ने कहा कि चीन सैन्य शक्ति का विस्तार परेड के लिए नहीं, बल्कि इस्तेमाल के लिए कर रहा है। चीन के पास अब अमेरिका से भी अधिक जंगी जहाज हैं। उनके पास 1000 से अधिक परमाणु हथियार हैं।
रट्टे के मुताबिक चीन और रूस के बीच का रिश्ता अब जूनियर और सीनियर पार्टनर जैसा हो गया है। रट्टे ने कहा, शी जिनपिंग ताइवान पर हमला करने से पहले पुतिन को फोन करेंगे और कहेंगे कि मैं हमला करने जा रहा हूं। आप यूरोप में नाटो के इलाके पर दबाव बढ़ाएं, जिससे वे यहां हस्तक्षेप नहीं कर सकें। रूस यूरोप में छोटे हमले या बड़ी सैन्य गतिविधियां शुरू करता है तो अमेरिका और उसके यूरोपीय सहयोगियों का ध्यान और संसाधन दो हिस्सों में बंट जाएंगे। इससे चीन के लिए ताइवान पर कब्जा करना आसान हो जाएगा।
नाटो प्रमुख ने चीन की बढ़ती सैन्य शक्ति पर आंकड़े पेश किए हैं। चीन के पास अमेरिका से अधिक सक्रिय युद्धपोत हैं। 2030 तक उनके बेड़े में 100 और नए जहाज आ जाएंगे। चीन ने अपनी परमाणु शक्ति को तेजी से बढ़ाया है। उनके पास 1,000 परमाणु वारहेड हैं, जो दुनिया के लिए बड़ा खतरा हैं। रट्टे ने कहा कि दुनिया की टॉप-10 रक्षा कंपनियों में अब चीन की कई कंपनियां हैं, जो साबित करती हैं कि वे बड़े पैमाने पर हथियारों का उत्पादन कर रहे हैं।
इस दोहरे खतरे को देखते हुए मार्क रट्टे ने मल्टी-लेयर्ड डिटरेंस का सुझाव दिया है। रट्टे ने यूरोपीय देशों से अपील की है कि वे अपनी जीडीपी का 3.5% से 5% तक रक्षा क्षेत्र में खर्च करें। यह केवल किसी नेता को खुश करने के लिए नहीं, बल्कि जान बचाने के लिए जरूरी है। ऐसे में नाटो अब जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे देशों के साथ मिलकर काम कर रहा, ताकि एशिया में चीन को घेरा जा सके। वहीं, रूस और चीन की जुगलबंदी अब आर्कटिक और उत्तरी अटलांटिक में भी दिख रही, जहां दोनों देश सैन्य अड्डे और रडार सिस्टम मजबूत कर रहे हैं।
रट्टे ने चेतावनी दी कि हम अभी दूसरे विश्वयुद्ध के बाद की सबसे खतरनाक स्थिति में हैं। हमें चीन की महत्वाकांक्षाओं को लेकर भोला नहीं होना चाहिए। वे हमारे बुनियादी ढांचे को पंगु बनाने और लोकतंत्र को चोट पहुंचाने की ताक में हैं। रूस अपनी सैन्य शक्ति को उस रफ्तार से दोबारा बना रहा, जो हाल में कभी नहीं देखी गई। पुतिन 11 लाख नागरिकों की बलि देने के लिए तैयार हैं, जो उनकी क्रूरता को दिखाता है।
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मार्क रट्टे का यह बयान केवल चेतावनी नहीं, बल्कि एक कॉल टू एक्शन है। चीन और रूस का बढ़ता गठबंधन दुनिया को नए शीत युद्ध या शायद एक वास्तविक महायुद्ध की ओर धकेल रहा है। रट्टे ने साफ किया है कि यूरोप और नाटो को सुरक्षित रहना है तो उन्हें अपने मतभेद भुलाकर एक होना होगा। अपनी सैन्य शक्ति को उस स्तर पर लाना होगा, ताकि चीन और रूस हमला करने की सोच भी न सकें।






