सांकेतिक तस्वीर
Saudi Arabia War on Drugs: सऊदी अरब सरकार अपने विजन 2030 के तहत लगातार देश में बदलाव कर रहा है। इसमें महिलाओं को गाड़ी चलाने की आजादी से लेकर, शराब पर पंबंदी को खत्म करने जैसे फैसले शामिल है। लेकिन दूसरी तरफ वॉर ऑन ड्रग्स के नाम पर एक साल में 217 लोगों को मौत की सजा देकर पिछले साल का अपना ही रिकार्ड तोड़ दिया है। मानवाधिकारों संगठनों ने इसी आलोचना की है।
सऊदी अरब में ‘वॉर ऑन ड्रग्स’ अभियान की शुरुआत 2023 में हुई थी। जांच और कानूनी प्रक्रियाएं पूरी होने के बाद अब बड़ी संख्या में दोषियों को फांसी दी जा रही है। जहां 2022 में ड्रग्स से जुड़े मामलों में केवल 19 लोगों को फांसी दी गई थी, वहीं 2025 में यह संख्या बढ़कर 144 तक पहुंच गई है।
साल की शुरुआत अब तक सऊदी में 217 लोगों को फांसी की सजा दी जा चुकी है। इसमें 121 विदेशी नागरिक थे। जो सऊदी अरब में प्रवासी कामगार के रूप में रह रहे थे। मानवाधिकार संगठनों का आरोप है कि इन विदेशी नागरिकों को पर्याप्त कानूनी सहायता नहीं मिलती, जिससे वे कठोर सजाओं का शिकार हो जाते हैं। एमनेस्टी इंटरनेशनल और Reprieve जैसे संगठनों ने इस चलन को “चौंकाने वाला और अमानवीय” बताया है।
हालांकि सऊदी सरकार का दावा है कि यह अभियान ड्रग माफियाओं के खिलाफ कड़ा संदेश है, लेकिन अब तक कोई ठोस प्रमाण नहीं मिले हैं जो दिखाएं कि मौत की सजा से अपराधों में कमी आई है। विशेषज्ञों का मानना है कि “डर का माहौल बनाना अपराध रोकने की गारंटी नहीं होता। मौत की सजा समाधान नहीं, बल्कि विफल नीति का संकेत है।”
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सऊदी अरब एक ओर जहां विजन 2030 के तहत खुद को एक आधुनिक और खुला समाज बनाने की दिशा में प्रयासरत है। खेल, पर्यटन और तकनीक जैसे क्षेत्रों को बढ़ावा दे रहा है। वहीं दूसरी ओर वहां बढ़ती फांसियों ने उसकी वैश्विक छवि पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि सऊदी अरब में हो रही इन फांसियों पर अमेरिकी प्रशासन ने चुप्पी साध रखी है। हाल ही में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सऊदी दौरे के दौरान उन्होंने क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की खुलकर सराहना की थी।