कॉन्सेप्ट फोटो (सोर्स: सोशल मीडिया)
लखनऊ: लखनऊ की विशेष सीबीआई अदालत ने डीएसपी जिया उल हक हत्याकांड में फैसला सुनाते हुए 10 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। लखनऊ की विशेष सीबीआई अदालत ने सभी आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाते हुए जुर्माना भी लगाया है। सभी 10 आरोपियों पर 15-15 हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया है। मिली जानकारी के अनुसार जुर्माने की आधी रकम डीएसपी जिया उल हक की पत्नी को भी दी जाएगी। जानकारी के लिए बता दें कि जिया उल हक हत्याकांड मामले में युपी के बाहुबली नेता राजा भैया भी आरोपी थे, लेकिन सीबीआई की जांच में उन्हें पहले ही क्लीन चिट मिल चुकी थी।
प्रतापगढ़ के कुंडा का चर्चित जियाउल हक हत्याकांड इसलिए चर्चित हुआ क्योंकि कुंडा के बाहुबली विधायक और मंत्री रघुराज प्रताप उर्फ राजा भैया पर सीओ की हत्या का आरोप लगा था। यहां तक कि उन्हें इस मामले में नाम आने के कारण अखिलेश सरकार से इस्तीफा भी देना पड़ा था। जिया उल हक की हत्या का आरोप कुंडा विधायक राजा भैया और उनके कई करीबियों पर लगा था। हालांकि जांच के दौरान ही सीबीआई ने राजा भैया को पहले ही क्लीन चिट दे दी थी।
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जानकारी दें कि घटना की शुरूआत 2 मार्च 2013 को बलीपुर गांव में शाम को प्रधान नन्हे सिंह यादव की हत्या से हुई, जिसके बाद प्रधान के समर्थक बड़ी संख्या में हथियार लेकर बलीपुर गांव पहुंच गए थे। गांव में इस कदर बवाल हो रहा था कि कुंडा के कोतवाल सर्वेश मिश्र अपनी टीम के साथ यादव के घर की तरफ जाने की हिम्मत नहीं जुटा सके, तभी पुलिस क्षेत्राधिकारी (CO/DSP) जियाउल हक गांव में पीछे के रास्ते से प्रधान के घर की तरफ बढ़े।
तब गांव वाले गोलीबारी कर रहे थे, गोलीबारी से डरकर सीओ जिया उल हक की सुरक्षा में तैनात गनर इमरान और एसएसआई कुंडा विनय कुमार सिंह खेत में छिप गए। हक के गांव में पहुंचते ही ग्रामीणों ने उन्हें घेर लिया था। इसी दौरान गोली लगने से नन्हे सिंह यादव के छोटे भाई सुरेश यादव की भी मौत हो गई। वहीं सुरेश की मौत के बाद हक को घेर लिया गया और पहले लाठी-डंडों से पीट-पीटकर उन्हें अधमरा किया गया और फिर गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई थी। इसके बाद रात 11 बजे बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी बलीपुर गांव पहुंचे और सीओ जियाउल हक की तलाश शुरू हुई। करीब आधे घंटे बाद जियाउल हक का शव प्रधान के घर के पीछे पड़ा मिला था।
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इस घटना के चलते तब राज्य की अखिलेश सरकार ने तिहरे हत्याकांड की जांच सीबीआई को सौंप दी थी। इस घटना के बाद राजा भैया ने अखिलेश सरकार से अपना इस्तीफा भी दे दिया था। वहीं मामले पर सीबीआई ने राजा भैया की मांग पर नार्को टेस्ट भी कराया था। सीबीआई ने बाद में राजा भैया, गुलशन यादव, हरिओम, रोहित, संजय को क्लीन चिट भी दी थी।