अमेरिका में हमलों पर सुरक्षा जरूरी (सौ.डिजाइन फोटो)
नवभारत विशेष: जो टेस्ला साइबर ट्रक निर्वाचित राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प के लॉस वेगास इंटरनेशनल होटल के बाहर जनवरी 2025 की सुबह फटा, उसके अंदर एक संदिग्ध की मौत हो गई और पास में ही मौजूद 7 अन्य व्यक्ति घायल हो गए. यह ट्रक फायरवर्क मोटर व कैप फ्यूल कैनिस्टरों से भरा हुआ था. इस पिकअप ट्रक के अंदर जो व्यक्ति विस्फोट में मेरा यह अमेरिका की सेना में काम करने (एक्टिव- डयूटी) वाला सैनिक था. नव वर्ष के दिन न्यू ऑर्लियंस में भी ट्रक द्वारा हमला हुआ था, जिसमें 15 व्यक्तियों की मौत हो चुकी है और 10 अभी गंभीर है।
एसबीआई अब इस बात की जांच कर रही है कि क्या टेस्ला साइबर ट्रक विस्फोट और न्यू ऑर्लियंस ट्रक हमले में आपस में कोई संबंध है. इनसे अलग एक अन्य घटना में न्यूयॉर्क के अमाजुरा नाईट क्लब के बाहर 1 जनवरी को ही रात 11.15 पर लगभग दर्जन लोग अंदर प्रवेश करने की प्रतीक्षा में खड़े हुए थे कि तभी तीन लोग पैदल वहां पहुंचे और उन्होंने क्लब के बाहर खड़े व्यक्तियों पर गोलियां बरसानी शुरू कर दी. जिसमें 10 व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हो गए. अमेरिका के लिए साल 2025 की शुरुआत अच्छी नहीं हुई।
लॉसवेगास में जो संदिग्ध टेस्ला साइबरट्रक के अंदर मरा उसकी पहचान मैथ्यू लिवेल्सबर्जर के रूप में की गई है, जबकि न्यू ऑर्लियंस का हमलावर 42 वर्षीय शमसुद्दीन बहार जब्बार था. लिवेल्सबर्जर अभी सेना में कार्य कर रहा था और जब्बार आमी वेटरन था. हालांकि एफबीआई का कहना है कि लॉसवेगास और न्यू ऑर्लियंस की घटनाओं में अभी तक कोई ‘निश्चित’ संबंध स्थापित नहीं हुआ है, लेकिन इस संयोग को क्या कहा जाये कि दोनों लिवेल्सबर्जर व जब्बार का ताल्लुक अमेरिकी सेना से था, दोनों ने एक ही सेना बेस पर कार्य किया जिसे अब फोर्ट लिबर्टी कहते हैं, दोनों ने समान रेंटल एप का प्रयोग किया, दोनों ने हमले के लिए ट्रक का प्रयोग किया और दोनों ने अकेले हमला किया।
लिवेल्सबर्जर ने 2006 में सेना ज्वाइन की थी और जब्बार ने 2007 में एफबीआई का कहना है कि जब्बार वैवाहिक व आर्थिक कठिनाइयों से जूझ रहा था, साक्ष्य बता रहे हैं कि न्यू ऑलियंस हमले के लिए केवल वह ही जिम्मेदार था और वह आईएस की विचारधारा से जुड़ा हुआ था. इसलिए न्यू ऑर्लियंस के हमले को आतंकी वारदात माना जा रहा है, जबकि लॉसवेगास की घटना में आशंकित आतंकवाद की जांच की जा रही है।
पिउ रिसर्च सेंटर के 2022 के अनुमान के अनुसार अमेरिका में 7,25,000 अवैध अप्रवासी भारतीय हैं और इन पर भी 20 जनवरी की तलवार लटकी हुई है. अक्टूबर 2024 में 11,000 भारतीयों को अमेरिका से वापस भारत भेजा गया था. अमेरिका, जर्मनी व अन्य जगहों पर जो हाल में हिंसक वारदातें हुई हैं, उनसे ऐसा प्रतीत हो रहा है कि आतंकी टैक्टिस नया रूप धारण करती जा रहीं हैं. सभी संपने वाले कुत्ते । और 3डी स्कैनर्स नाकाम हो जाते हैं जब रोजमर्रा इस्तेमाल की जाने वाली चीजें प्रोजेक्टाइल (फेंकी जाने वाली चीजें हमला करने के हथियार बन जायें. जब आपकी जेब में रखा पेजर ही बम बना दिया जाये जैसा कि इजराइल ने लेबनान में किया आतंकियों ने हवाईजहाज को अम बनाते हुए न्यूयॉर्क में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के ट्विन टावर्स को उड़ाया था और जब 2018 में एक आतंकी ने नीस, फ्रांस की भीड़ में 20 टन का ट्रक घुसा दिया था, जिसमें 86 लोग मारे गए थे और 300 से अधिक घायल हो गए थे।
उसी साल स्टील बीम्स से भरे ट्रक से बर्लिन की क्रिसमस मार्किट में हमला किया गया था, जिसमें 12 लोग मारे गए थे और 49 घायल हो गए थे. अब पिछले एक पखवाड़े में ऐसे ही हमले तीन बार देखने में आये हैं, क्रिसमस 2024 की पूर्व संध्या पर जर्मनी की मग्देबर्ग क्रिसमस मार्किट पर एक डॉक्टर ने अपनी कार से हमला किया, जिसमें 5 लोग मारे गए और 200 से अधिक घायल हो गए. कुछ लोग इन हमलावरों के नाम लेकर उनके धर्म को दोषी ठहराने का प्रयास करेंगे. इसमें दोष धर्म का नहीं है बल्कि जहरीले विचार का है. –
शाहिद ए चौधरी के द्वारा लेख