मनोज जरांगे (डिजाइन फोटो)
मराठा आरक्षण की मांग को लेकर मनोज जरांगे पाटिल के आंदोलन का जबरदस्त झटका लोकसभा चुनाव में महायुति को लगा था। तब मराठवाडा की 8 लोकसभा सीटों में से केवल छत्रपति संभाजी नगर की सीट पर महायुति का उम्मीदवार जीत पाया था। बीजेपी की करारी हार हुई थी। बीड, लातूर, नांदेड़ और पूर्व केंद्रीय मंत्री रावसाहेब दानवे को जालना में धक्का पहुंचा था।
विधानसभा चुनाव में छत्रपति संभाजी नगर, लातूर, बीड़, जालना, परभणी, हिंगोली, धाराशिव व नांदेड जैसे 8 जिलों में कुल 46 सीटें हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 16 व शिवसेना को 12 सीटें मिली थीं। एनसीपी व कांग्रेस को 8-8 सीटें तथा अन्य को 2 सीटें मिली थीं। कांग्रेस विरोध की बुनियाद पर शिवसेना ने मराठवाड़ा में पैर जमाए थे।
परभणी, हिंगोली व धाराशिव जिलों में 11 विधानसभा क्षेत्र हैं। पहले आघाड़ी ने 5 सीटें जीती थीं। देखना होगा कि इस बार उसे कितनी सीटें मिलती हैं। ठाकरे गुट की संगठनात्मक ताकत अच्छी है। उसे सहानुभूति का लाभ भी मिल सकता है। लातूर जिले में कांग्रेस, बीजेपी और एनसीपी के दोनों गुटों का प्रभाव है।
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मराठा आरक्षण के लिए संघर्ष करनेवाले मनोज जरांगे पाटिल के आंदोलन का प्रभाव विधानसभा चुनाव पर भी निश्चित रूप से पड़ेगा। इसलिए मराठवाड़ा की 46 सीटों को लेकर सभी पार्टियों में बेचैनी व्याप्त है। छत्रपति संभाजी नगर में शिवसेना का प्रभाव है। पिछली बार यहां युति को 6 और बीजेपी को 3 सीटें मिली थीं। कांग्रेस और एनसीपी का खाता ही नहीं खुल पाया था।
अब चित्र बदल गया है अपनी सीट कायम रखने की चुनौती दोनों पार्टियों के सामने है। लोकसभा चुनाव में दलित-मुस्लिम मतदाता महाविकास आघाड़ी के साथ थे। जिले के अनेक स्थानों में उम्मीदवार देखकर मतदान होगा। नांदेड़ में पिछली बार कांग्रेस को 4 और बीजेपी को 3 सीटें मिली थीं।
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए। ऐसे में कांग्रेस को यहां बीजेपी की कड़ी टक्कर देनी होगी। राष्ट्रवादी कांग्रेस के अधिकांश विधायक अजीत पवार के साथ हैं लेकिन कार्यकर्ता शरद पवार के पक्ष में हैं। मराठवाड़ा में छत्रपति संभाजी नगर और नांदेड़ 2 बड़े जिले हैं। प्रत्येक में 9 विधानसभा सीटें हैं।
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी द्वारा