छगन भुजबल, सीएम फडणवीस, मनोज जरांगे
Maratha Reservation: मुंबई के आज़ाद मैदान में मराठा आंदोलनकारी मनोज जरांगे पाटील ने बेमियादी अनशन शुरू किया था। इसके बाद मराठा समाज की आठ मांगों में से छह मांगें राज्य सरकार ने स्वीकार कर शासन निर्णय (जीआर) जारी किया। लेकिन इस जीआर पर मंत्री छगन भुजबळ ने तीखी नाराज़गी जताई है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने स्पष्ट किया है कि जीआर से ओबीसी समाज को कोई नुकसान नहीं होगा और इसमें कहीं भी ‘सरसकट’ यानी सभी को एक साथ आरक्षण देने का उल्लेख नहीं है। लेकिन भुजबळ ने नाशिक में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि जीआर का ड्राफ्टिंग ही गड़बड़ है और इससे कई तरह की कानूनी व सामाजिक जटिलताएं खड़ी हो सकती हैं।
भुजबळ ने कहा कि पहले जीआर में ‘पात्र व्यक्तियों’ को कुणबी प्रमाणपत्र देने की बात थी, लेकिन जरांगे के कहने पर ‘पात्र’ शब्द हटा दिया गया। ‘नाते और नातेसंबंध’ की परिभाषा भी साफ नहीं है। यह अस्पष्टता आगे बड़ी समस्या खड़ी कर सकती है।
उन्होंने कहा कि विभिन्न आयोगों और न्यायालय ने कई बार यह टिप्पणी की है कि मराठा समाज पिछड़ा वर्ग नहीं है, बल्कि यह समाज प्रगतिशील है। 3 आयोगों ने इसे खारिज किया है और 1955 से यह स्पष्ट है। भुजबळ ने आरोप लगाया कि पिछड़े वर्ग के प्रमाणपत्र झूठे तरीके से हासिल किए जाते हैं और यह दुर्भाग्यपूर्ण है।
हैदराबाद गज़ेट का मुद्दा उठाते हुए भुजबळ ने कहा कि शिंदे समिति ने लाखों दस्तावेज़ खंगालकर कुणबी प्रमाणपत्र दिए हैं लेकिन जिनका इससे कोई संबंध नहीं है, उनके लिए रास्ता खोजा जा रहा है। “हैदराबाद गज़ेट का संबंध आता ही कहां से है?” यह सवाल उन्होंने उठाया । उन्होंने चेतावनी दी कि यह जीआर आपसी तनाव पैदा कर सकता है। बिना कैबिनेट में रखे, बिना सुझाव या आपत्तियां मांगे और केवल दबाव में आकर सरकार ने यह निर्णय लिया है। अगर जीआर की अस्पष्टता दूर नहीं की गई तो इसे वापस लेना होगा।
जरांगे पाटील पर निशाना साधते हुए भुजबळ ने कहा “यह देश लोकतंत्र से चलता है, जरांगेशाही से नहीं। ओबीसी समाज भी अब ग्रामीण स्तर पर आंदोलन की तैयारी कर रहा है। बाबा साहेब आंबेडकर का संविधान हमारे पास है, इसलिए यहां जरांगेशाही नहीं चलने वाली।”
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने दावा किया था कि इस जीआर से ओबीसी समाज को कोई नुकसान नहीं होगा और इसमें किसी भी तरह से ‘सर्वसमावेशक’ यानी सभी को एक साथ आरक्षण देने का उल्लेख नहीं है। बावजूद इसके, भुजबळ का कहना है कि जीआर का ड्राफ्टिंग ही विवाद और भ्रम पैदा करने वाला है। भुजबळ ने शिंदे समिति की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि लाखों दस्तावेज़ों की जांच कर 2 लाख 39 हजार जाति प्रमाणपत्र जारी किए गए। लेकिन अब नए रास्ते ढूंढकर हैदराबाद गज़ेट का मुद्दा जबरन जोड़ा जा रहा है । “हैदराबाद गज़ेट का संबंध आता ही कहाँ से है?” उन्होंने सवाल उठाया ।
भुजबळ ने कहा कि सरकार ने बिना कैबिनेट में पेश किए और बिना हरकतियां-सुझाव मांगे, सिर्फ राजनीतिक दबाव में यह जीआर जारी किया है। उन्होंने चेतावनी दी कि इससे सामाजिक तनाव उत्पन्न हो सकता है। “अगर जीआर की अस्पष्टता दूर नहीं की गई, तो इसे तुरंत वापस लिया जाए,” भुजबळ ने स्पष्ट कहा।
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जरांगे पाटील पर निशाना साधते हुए भुजबळ बोले, “यह देश लोकतंत्र से चलता है, जरांगेशाही से नहीं । ओबीसी समाज भी अब ग्रामीण स्तर पर आंदोलन कर सकता है । हमारे पास बाबासाहेब आंबेडकर का संविधान है, इसलिए यहां जरांगेशाही नहीं चलने वाली ।”