मराठा आरक्षण (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘निशानेबाज, मराठा आंदोलन के नेता मनोज जरांगे ने एक साथ अनेक नेताओं पर तीखी आलोचना के ड्रोन छोड़ दिए हैं।उन्होंने कहा कि मनसे प्रमुख राज ठाकरे कच्चे कान के हैं।भले ही पार्टी बर्बाद हो जाए लेकिन फडणवीस उनके यहां चाय पीने आ जाएं तो खुश हो जाते हैं जबकि विधानसभा चुनाव में फडणवीस ने उनके बेटे अमित ठाकरे का ही गेम कर दिया था।जरांगे ने नितेश राणे को छछूंदर कहा तथा मंत्री चंद्रकांत पाटिल को बुद्धिहीन बताते हुए कहा कि ज्यादा बोलोगे तो मुश्किल में पड़ जाओगे।’
हमने कहा, ‘जब उनका सरनेम जरांगे है तो जली-कटी बातें करेंगे ही।आपने पुराना गीत सुना होगा जो आज के सताधारियों पर फिट बैठता है- जलनेवाले जला करें, किस्मत हमारे साथ है।जलन-कुढ़न व्यक्ति के स्वभाव में है।शिशुपाल भी श्रीकृष्ण से जलता था या द्वेष रखता था।सौतिया डाह का मतलब सौत से जलन होता है.’ पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, यदि भारत में जरांगे हैं तो पाकिस्तान में वहां के राष्ट्रपति का नाम जरदारी है।कपड़ों में चांदी की जरी लगाने के काम को जरदोजी कहा जाता है।जरांगे शब्द में 2 शब्द समाए हुए हैं- जरा और अंग! वृद्धावस्था को जरावस्था भी कहा जाता है जिसमें अंग या शरीर जीर्ण या कमजोर हो जाता है।जरांगे के पानी पीना बंद करने से डिहाइड्रेशन व किडनी पर असर पड़ सकता है।वे अनशन करें लेकिन जल पीते रहें क्योंकि जल ही जीवन है।महात्मा गांधी भी अनशन के दौरान नींबू-पानी पीते रहते थे।’
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हमने कहा, ‘जरांगे मर्द मराठा हैं।वह पीछे नहीं हटेंगे।आर-पार की लड़ाई लड़ेंगे।गणेशोत्सव के समानांतर उनका आमरण अनशनोत्सव भी चल रहा है।सरकार 2 पाटों के बीच फंसी है।वह ओबीसी में से काटकर मराठा आरक्षण दे नहीं सकती।उसे ओबीसी और मराठा दोनों को संभालना है।ऐसे में मुख्यमंत्री देवेंद्र क्या करेंगे?’ पड़ोसी ने कहा, ‘जरांगे ने नया जीआर जारी करने का विकल्प दिया है।उन्होंने कहा है कि कानूनी बाधा से बचने के लिए सरसकट या एकमुश्त शब्द हटा दें।अब देखना होगा कि स्थितियां कैसी बनती हैं।एक शेर है- इब्तदाये इश्क है, रोता है क्या, आगे-आगे देखिए होता है क्या!’
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा