यवतमाल न्यूज
Yavatmal News In Hindi: इस वर्ष जिले में भारी बारिश ने कहर बरपाया है।अब भारी बारिश का जोर कम हो गया है।हालांकि, बीमारियां फिर से सिर उठाने लगी हैं। सबसे ज्यादा ख़तरा किसानों के पालतू पशुओं पर मंडरा रहा है।
जिले में साढे दस लाख मूक पशुओं के स्वास्थ्य की निगरानी के लिए पशु चिकित्सा व्यवस्था अपर्याप्त है, जिससे पशुपालक चिंतित हैं। जिले के 70 प्रतिशत नागरिकों की आजीविका कृषि से जुड़ी है।कई लोगों ने कृषि के पूरक व्यवसाय के रूप में पशुपालन किया है।
जिले में 10 लाख 59 हजार से ज्यादा पशु हैं। भारी बारिश के कारण इन पशुओं के चरने की बड़ी समस्या पैदा हो गई थी। अब जब बारिश कम हो गई है, हालाँकि चारागाह उपलब्ध हो गया है, फिर भी पशुओं पर तरह-तरह की बीमारियां हावी हो गई हैं।कई पशु भूखे रहने लगे हैं। इसलिए चारा होने के बावजूद, उसे खाने की कोई व्यवस्था नहीं है।
सैकड़ों पशु लंगड़ापन की समस्या से जूझ रहे हैं।पिछले तीन सालों से लम्पी स्किन डिजीज (त्वचा की गांठ) का खतरा बना हुआ है।इस साल भी महागांव और उमरखेड़ जैसे इलाकों में पशु लम्पी स्किन डिजीज से पीड़ित हैं।किसान ऐसे बीमार पशुओं को पशु चिकित्सालयों में ले जा रहे हैं।
यवतमाल पशुपालन विभाग के सहायक आयुक्त डॉ क्रांति काटोले ने कहा है कि वर्तमान में विभाग में 50 प्रतिशत पद रिक्त हैं।इसलिए पशुओं के उपचार को लेकर एक बड़ा सवाल उठ रहा है।फिर भी गांठदार, खुरप, मुंह का आदि रोगों के लिए टीकाकरण अभियान चलाया गया है।
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सरकार ने हाल ही में इस विभाग का पुनर्गठन किया है।इसके बाद रिक्तियों की दर 50 प्रतिशत से अधिक हो गई है।किसानों ने बताया कि तहसील स्तर के पशु चिकित्सालयों में कर्मचारियों की कमी के कारण पशुओं का समय पर इलाज नहीं हो पा रहा है।किसान इस बात को लेकर भी चिंतित हैं कि लम्पी स्किन डिजीज जैसी नई बीमारियों का क्या करें।