नवभारत संपादकीय (डिजाइन फोटो)
नवभारत डेस्क: बांग्लादेश स्थापना दिन के निमित्त प्रधानमंत्री मोदी ने बांग्लादेश सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस को शुभेच्छा पत्र भेजकर स्मरण दिलाया कि 1971 में हुए मुक्ति संग्राम से भारत व बांग्लादेश के संबंधों की मजबूत नींव पड़ी। यह दिन हमारी द्विपक्षीय भागीदारी व त्याग की याद दिलाता है। हम यह भागीदारी आगे बढ़ाने के लिए वचनबद्ध हैं।
पीएम मोदी का यह पत्र इस बात का संकेत देता है कि भारत से अच्छे संबंधों में ही बांग्लादेश का हित है। सत्ता परिवर्तन के बाद से बांग्लादेश में अर्थशास्त्री मोहम्मद यूनुस अंतरिम सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं। इस दौरान वहां हिंदुओं के मंदिरों व घरों पर हमले हुए। कट्टरपंथियों व भारत विरोधियों का जोर वहां बढ़ने लगा है। पाकिस्तानी सेना का प्रतिनिधि मंडल कराची से ढाका पहुंचा।
इन बातों को देखते हुए कहीं फिर से वहां पूर्व पाकिस्तान बनाने की साजिश तो नहीं हो रही है? लगता है बांग्लादेश भूल गया कि बुचर आफ बांग्लादेश कहलाने वाले जनरल टिक्का खान के नेतृत्व में पाकिस्तानी फौज ने कितना कत्लेआम और महिलाओं से दुष्कर्म किया था। पाकिस्तानी तानाशाह याहया खान ने तब कहा था कि पूर्व पाकिस्तान के बंगालियों की हम नस्ल बदलकर रख देंगे।
पाकिस्तानी सेना ने जब आत्मसमर्पण किया था तो उसकी बंकरों और बैरकों से कितनी ही महिलाओं को मुक्त कराया गया था। अपने अमानुषिक जुल्म के लिए पाकिस्तान ने कभी बांग्लादेश से माफी नहीं मांगी। इस समय बांग्लादेश में पाकिस्तान समर्थक कट्टरपंथी ताकतें ताकतवर हो उठी हैं और यूनुस की अंतरिम सरकार जाने के बाद वह सत्ता में आ सकती हैं।
जब तक शेख हसीना सत्तारूढ़ थीं भारत-बांग्लादेश के कूटनीतिक संबंध अच्छे थे लेकिन अब बांग्लादेश ने पाकिस्तान और चीन से अपनी निकटता बढ़ाई है। कुछ सप्ताह पूर्व पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई के 4 वरिष्ठ अधिकारी बांग्लादेश दौरे पर आए थे। इसके अलावा मोहम्मद यूनुस इस समय चीन यात्रा पर हैं। बांग्लादेश में चीन अपनी मजबूती बढ़ाना चाहता है और ढाका बंदरगाह पर उसकी वैसी ही निगाह है जैसी पाकिस्तान के ग्वाडर और श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर!
बांग्लादेश चीन के साथ संयुक्त सैनिक अभ्यास, शस्त्र आयात तथा बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव में सहयोग पर समझौता कर सकता है। इसी माह बांग्लादेश का 21 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल चीन गया था जिसमें राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि, शिक्षाविद, पत्रकार और छात्र नेताओं का समावेश था।
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चीन और पाकिस्तान दोनों ही बांग्लादेश में अपना प्रभाव बढ़ाने में लगे हैं। इसलिए भारत को अत्यंत सतर्क रहना होगा। साथ ही बांग्लादेश को समझाना होगा कि सरकार चाहे जो भी आए, भारत से उसके संबंध हमेशा मजबूत और भरोसेमंद रहने चाहिए। आपसी हित व सुरक्षा के लिए यह जरूरी है।
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा