तारिक रहमान (सोर्स- सोशल मीडिया)
Bangladesh: बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के कार्यवाहक अध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के बेटे तारिक रहमान 26 साल के निर्वासन के बाद अपने देश लौट रहे हैं। 58 वर्षीय रहमान ने घोषणा की है कि वह जल्द ही बांग्लादेश लौटेंगे और अगले चुनाव में हिस्सा लेंगे।
तारिक रहमान पिछले 26 साल से लंदन में रह रहे हैं। माना जा रहा है कि अगर बीएनपी आगामी चुनाव जीतती है तो वह बांग्लादेश के प्रधानमंत्री बन सकते हैं। बांग्लादेश में राजनीतिक घटनाक्रम तेजी से बदल रहा है, क्योंकि अवामी लीग पार्टी पर चुनाव लड़ने से रोक लगा दी गई है, जिससे बीएनपी की जीत की अटकलें लगाई जा रही हैं। बांग्लादेश में फरवरी 2026 में आम चुनाव होने वाले हैं।
तारिक रहमान की वापसी और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की संभावित सत्ता वापसी भारत के लिए चिंता और अवसर दोनों पैदा करती है। जब 2001 से 2006 के बीच बीएनपी सत्ता में थी, तब भारत के साथ उसके संबंध तनावपूर्ण थे। उस समय सीमा सुरक्षा के मुद्दे और भारत विरोधी आतंकवादी समूहों को पनाह देने के आरोपों को लेकर दोनों देशों के संबंध बिगड़ गए थे।
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भारत ने 2004 में चटगांव के सीयूएफएल जेटी पर दस ट्रक हथियार मिलने के मामले पर चिंता जताई थी। भारतीय अधिकारियों का कहना था कि ये हथियार पूर्वोत्तर भारत में सक्रिय अलगाववादी समूहों के लिए थे। भारतीय अधिकारियों का कहना है कि शेख हसीना के सत्ता से बेदखल होने के बाद बांग्लादेश के साथ संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं।
हालांकि, भारतीय अधिकारियों ने साफ किया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निर्देश दिए हैं कि स्थिति चाहे जो भी हो, ढाका के साथ बातचीत जारी रहनी चाहिए और दोनों देशों के बीच संबंधों को सामान्य बनाना होगा।
माना जा रहा है कि तारिक रहमान सत्ता में आने पर भारत और बांग्लादेश के बीच संबंध सुधारने की तरफ काम करेंगे। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि वह उन नागरिकों के बारे में जरूर सोचेंगे जो देश में व्याप्त अनिश्चितता और हिंसा से तंग आ चुके हैं। बांग्लादेश में इस समय जो अस्थिर हालात हैं, उसे देखते हुए भारत के लिए बीएनपी के साथ बातचीत करना एक अच्छा विकल्प होगा।
शेख हसीना के निष्कासन के बाद से ही बीएनपी नेताओं और भारतीय अधिकारियों के बीच अलग-अलग स्तरों पर बैठकें हुई हैं। पिछले सितंबर में, बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के महासचिव फखरुल इस्लाम आलमगीर और भारतीय उच्चायुक्त प्रणय वर्मा के बीच एक महत्वपूर्ण बैठक हुई थी।