
भारत की बेटियों ने रच दिया इतिहास (सौ. सोशल मीडिया)
नवभारत डिजिटल डेस्क: जिस प्रकार भारत की बेटियों ने अपना नाम इतिहास में दर्ज कराया है, वह किसी परिकथा से कम नहीं है। लीग स्टेज में तीन मैच हारने पर लग रहा था कि हमारी टीम सेमीफाइनल में भी नहीं पहुंच पाएगी, लेकिन उसके बाद जो टीम ने असाधारण जोश व जज्बे का परिचय दिया, विशेषकर सेमीफाइनल में 7 बार की चैंपियन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 339 रन की रिकॉर्ड चेज के दौरान, उससे यह उम्मीद तो प्रबल हो गई थी कि भारत अपना पहला महिला विश्व कप खिताब उठा लेगा, यही हुआ। फाइनल में भारत ने दक्षिण अफ्रीका को 52 रनों के प्रभावी अंतर से पराजित करके अपने सपने को हकीकत का रूप दिया।
लीग स्टेज में दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया व इंग्लैंड से लगातार पराजित होने के बाद भारत ने रिकवरी का सिलसिला आरंभकिया अपनी दो सबसे भरोसेमंद बैटर्स स्मृति मंधाना व प्रतीका रावल की बदौलत, जिन्होंने अपने-अपने व्यक्तिगत शतक लगाते हुए न्यूजीलैंड के खिलाफ पहले विकेट के लिए दोहरे शतक की रिकॉर्ड साझेदारी की और उसके बाद भारत ने मुड़कर नहीं देखा, उसे हर मैच में कम से कम दो खिलाड़ी उल्लेखनीय प्रदर्शन करने के लिए मिलते रहे, जैसे सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध जेमिमा रोड्रिग्स व हरमनप्रीत कौर की शानदार बल्लेबाजी। जेमिमा के नाबाद शतक को सुनील गावस्कर ने महिला क्रिकेट का सर्वश्रेष्ठ शतक बताया।
भारत 2005 व 2017 के बाद तीसरी बार महिला ओडीआई विश्व कप के फाइनल में पहुंचा था। फाइनल से पहले विश्व कपों में भारत व दक्षिण अफ्रीका की टीमें तीन बार आमने-सामने हुई थी और हर बार दक्षिण अफ्रीका ने ही बाजी मारी थी। लेकिन फाइनल का अलग ही दबाव होता है, विशेषकर जब बोर्ड पर अच्छा स्कोर चेज करने के लिए लगा दिया गया हो। फाइनल में भारत की शानदार जीत का सेहरा एक बार फिर दो खिलाड़यों के सिर बंधा- शेफाली वर्मा और दीप्ति शर्मा। शेफाली, जो टीम का हिस्सा नहीं थीं, को प्रतीका रावल के चोटिल होकर व्हीलचेयर पर पहुंचने के कारण सेमीफाइनल व फाइनल में खेलने का अवसर मिला।
सेमीफाइनल में तो वह कुछ खास न कर सकीं लेकिन फाइनल की रात को उन्होंने अपने नाम कर लिया, हमेशा के लिए। पहले तो उन्होंने 78 गेंदों पर तेजतर्रार 87 रन की पारी खेली, जिससे भारत अपना स्कोर 298 तक पहुंचा सका। फिर उन्होंने गेंदबाजी करते हुए 36 रन देकर 2 विकेट लिए और मैच का रूख भारत के पक्ष में कर दिया। नवी मुंबई के डीवाई पाटिल स्टेडियम में शेफाली ने भारतीय क्रिकेट की महानतम सफलताओं में से एक की पटकथा लिखी और उन्होंने आईसीसी प्रतियोगिता के फाइनल में सबसे कम आयु में अर्द्धशतक लगाने वाली खिलाड़ी बनीं।
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शेफाली को अपने हरफनमौला खेल के लिए ‘प्लेयर ऑफ द मैच’ के पुरस्कार से सम्मानित किया गया और उन्होंने अपना नाम उन भारतीय लीजेंड्स की सूची में दर्ज करा लिया, जो विश्व कप के फाइनल में ‘प्लेयर ऑफ द मैच’ रहे हैं- मोहिंदर अमरनाथ (1983), इरफान पठान (2007), एमएस धोनी (2011) और विराट कोहली (2024)। शेफाली के अतिरिक्त फाइनल की जीत का सेहरा दीप्ति शर्मा के सिर भी बंधा। ऑलराउंडर दीप्ति ने पहले तो बल्ले से प्रभावी अर्द्धशतक (58 रन) लगाया और फिर उन्होंने अपनी फिरकी गेंदों से जादू करते हुए मात्र 39 रन देकर 5 विकेट लिए। दीप्ति का पूरी प्रतियोगिता में ही प्रभावी प्रदर्शन रहा, उन्होंने सर्वाधिक 20 विकेट लिए और उन्हें एकदम सही प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट घोषित किया गया।
लेख- विजय कपूर के द्वारा






