सावन में महिलाएं क्यों झूलती हैं झूला (सौ.सोशल मीडिया)
Sawan Jhoola: शिवभक्तों का पावन महीना सावन 11 जुलाई शुरू हो चुका है। सावन का महीना बेहद खास होता है। सावन का महीना शुरू होते ही चारों तरफ हरियाली ही हरियाली नजर आती है। इस दौरान झूला झूलने की भी विशेष परंपरा है जो पति-पत्नी के प्रेम और सामंजस्य का प्रतीक है। मान्यता है कि भगवान शिव ने भी माता पार्वती के लिए झूला लगाया था।
आपको बता दें कि सावन महीना को प्रकृति से जुड़े उत्सव भी माना जाता है। इस मौसम में हरियाली चारों ओर फैल जाती है। हमारा मन भी ताजगी से भर जाता है। महिलाओं के लिए तो ये महीना बेहद ही खास होता है। झूला झूलना, लोकगीत गाना और सहेलियों के साथ वक्त बिताना उनको सुकून और खुशी देता है।
इस महीने घरों में झूला डालने को लेकर कई सारे धार्मिक महत्व भी हैं। आज का हमारा खबर भी इसी विषय पर आधारित है। हम आपको बताएंगे कि सावन के महीने में घरों में झूला लगाने और झूला झूलने की क्या परंपरा है। आइए जानते हैं विस्तार से –
ऐसी मान्यताएं हैं कि भगवान शिव ने भी सावन में माता पार्वती के लिए झूला लगाया था। साथ ही माता को झूला भी झुलाया था। तभी से ये परंपरा पति-पत्नी के बीच प्रेम और सामंजस्य बढ़ाने का प्रतीक मानी जाती है।
ऐसा कहा जाता है कि जो पति अपनी पत्नी को सावन के महीने में झूला झुलाते हैं, उनका वैवाहिक जीवन प्यार से भर जाता है। आपने भी देखा होगा कि मंदिरों में और घरों में भी देवी-देवताओं के लिए झूले लगाए जाते हैं और उन्हें झुलाया जाता है।
जैसा कि आप सभी जानते हैं कि सावन का महीना माता पार्वती और भोलेनाथ के मिलन का प्रतीक भी माना जाता है। इस महीने मां गोरी अपने मायके चली गईं थीं। वहां माता ने अपनी सखियाें संग मिलकर झूला झूली थी।
इससे माता को सुख और शांति की अनुभूति हुई थी। तभी से ये परंपरा महिलाओं के लिए बेहद खास मानी जाती है। कहते हैं कि जो लड़कियां और महिलाएं, सावन में झूला झूलती हैं, उन्हें माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
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ये भी कहा जाता है सावन के महीने में भगवान कृष्ण ने राधा रानी को भी झूला झुलाया था। इसके बाद से लोगों ने सावन में झूला झूलना शुरू कर दिया। आपको बता दें कि सावन में झूला झूलने से परिवार के सदस्यों में एकता बनी रहती है। पति-पत्नी के बीच प्यार बढ़ता है। वहीं झूला झूलने से दिमाग को भी शांति मिलती है।