शिव-पार्वती के रिश्ते से लेनी चाहिए ये 5 सीख (सौ.सोशल मीडिया)
Happy Marriage Life Tips : महाशिवरात्रि का पर्व सनातन धर्म में बड़ा महत्व रखता हैं। भगवान भोलेनाथ को तो गृहस्थ का देवता माना जाता है। लड़कियां अच्छे और मनचाहे वर को पाने के लिए भगवान शिव की पूजा करती हैं। महिलाएं भी पति की लंबी उम्र के लिए महाशिवरात्रि पर व्रत रखती हैं।
महाशिवरात्रि के दिन माता पार्वती और भगवान भोलेनाथ का विवाह हुआ था। इसलिए इस दिन को सुखी दांपत्य जीवन की इच्छा रखने वालों के लिए खास माना जाता है। कहते हैं कि भोले बाबा वैरागी हैं। फिर भी उनका वैवाहिक जीवन हमेशा ही हर जोड़े के लिए आदर्श रहा है। अगर आप भी सुखी दांपत्य जीवन चाहते हैं, तो शादीशुदा जोड़े को माता पार्वती और भोलेनाथ के वैवाहिक जीवन से जुड़ी कुछ बातें जरूर सीखनी चाहिए। आइए जानते हैं इस बारे में-
हर पति-पत्नी को शिव-पार्वती के रिश्ते से लेनी चाहिए ये 5 सीख :
एक-दूसरे से प्रेम
भगवान शिव और माता पार्वती का प्रेम सच्चा और पवित्र था। माता पार्वती एक राजकुमारी थीं वहीं भगवान शिव एक वैरागी थे। मगर फिर भी देवी पार्वती ने भगवान शिव से विवाह किया। उन्होंने भगवान शिव के रूप-रंग नहीं बल्कि स्वभाव से प्रेम किया। गृहस्थ जीवन के लिए सबसे जरूरी है पति-पत्नी का सच्चा प्यार।
ईमानदारी और त्याग की भावना
जानकार बताते हैं कि, कोई भी रिश्ता तभी मजबूत हो सकता है जब उसमें ईमानदारी और त्याग की भावना हो। भगवान शिव और माता पार्वती एक-दूसरे के प्रति ईमानदार थे। पुराणों के अनुसार पिता द्वारा अपने पति यानी शिव का अपमान देखकर माता सती ने अपने प्राण त्याग दिए। वहीं, भगवान शिव ने सती की मृत्यु से रौद्र रूप धारण कर लिया। दोनों का ऐसा करना एक-दूसरे के प्रति इनके प्यार, ईमानदारी और त्याग को दर्शाता है।
हर परिस्थिति में साथ निभाना
भगवान शिव और माता पार्वती का रिश्ता केवल सुख के पलों तक सीमित नहीं था। माता पार्वती ने शिवजी के साथ हर स्थिति में उनका साथ दिया, चाहे वह कठिन तपस्या हो या गृहस्थ जीवन। एक सफल दांपत्य जीवन के लिए जरूरी है कि पति-पत्नी हर परिस्थिति में एक-दूसरे का साथ दें और कठिन समय में भी मजबूती से खड़े रहें।
समानता और स्वतंत्रता
भगवान शिव और माता पार्वती के रिश्ते में समानता थी। शिवजी ने माता पार्वती को केवल एक पत्नी नहीं, बल्कि अपनी शक्ति (शक्ति स्वरूपा) के रूप में स्वीकार किया। वे कभी भी उन्हें कमजोर नहीं समझते थे, बल्कि उन्हें हर निर्णय में समान भागीदार बनाते थे। सुखी वैवाहिक जीवन के लिए जरूरी है कि पति-पत्नी एक-दूसरे की स्वतंत्रता और इच्छाओं का सम्मान करें।
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धैर्य और समर्पण
माता पार्वती ने शिवजी को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। उन्होंने अपने धैर्य और समर्पण से शिवजी को प्रसन्न किया। गृहस्थ जीवन में भी कई बार कठिनाइयाँ आती हैं, लेकिन यदि दोनों साथी धैर्य और समर्पण से साथ निभाएं, तो हर समस्या का समाधान संभव है।