सूर्य देव को जल चढ़ाने के नियम,( सौ.सोशल मीडिया)
Surya Arghya Niyam:हिन्दू धर्म में सूर्य अर्घ्य का बहुत महत्व माना गया है। शास्त्रों के अनुसार, सूर्य को अर्घ्य देने से भाग्य का साथ मिलता है और जीवन में सफलता के मार्ग खुलने लगते हैं। ज्यादातर लोग सुबह पूजा पाठ करने के बाद सूर्य को अर्घ्य देते हैं। सूर्य को अर्घ्य देने से भाग्योदय होता है और मान सम्मान में वृद्धि होती है।
इसके अलावा यदि किसी कारण विवाह में देर हो रही है, तो नियमित सूर्य को जल देने से शीघ्र ही अच्छे रिश्ते आते हैं। लेकिन सूर्य को जल देते वक्त कई बातों का ध्यान रखाना चाहिए। आइए जानते हैं सूर्य देव को जल देते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
जानिए जल चढ़ाने का सही समय
सूर्य देव को सूर्य उगने के एक घंटे तक जल चढ़ाया जा सकता है। ऐसे में जल चढ़ाने के लिए सुबह 6 बजकर 15 मिनट से सुबह 6 बजकर 45 मिनट तक का समय सबसे उत्तम माना गया है। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि यदि आप रोजाना सूर्य देव को जल अर्पित करने में असमर्थ हैं, तो आप रविवार के दिन भी सूर्य को जल अर्पित कर सकते हैं। क्योंकि हिंदू मान्यताओं के अनुसार यह दिन सूर्य देव को समर्पित माना जाता है।
इस तरह अर्पित करें जल
सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि कर लें। इसके बाद सूर्य देव एक तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें लाल रंग के फूल, कुमकुम और थोड़े-से अक्षत यानी अखंडित चावल भी डाल लें। सूर्य को अर्घ्य देते समय मन-ही-मन ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम:’ मंत्र का जाप भी करते रहें।
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सूर्य को जल चढ़ाने के नियम
शास्त्र के अनुसार, सूर्य को जल चढ़ाने से पहले कुछ नियमों को जानना भी जरूरी है, तभी आपको इसका पूर्ण फल प्राप्त हो सकता है। ध्यान रखें कि सूर्य को जल चढ़ाने के लिए हमेशा तांबे के लोटे का इस्तेमाल करना चाहिए। सूर्य देव जल चढ़ाते समय आपका मुख पूर्व की दिशा में होना चाहिए। तांबे के लोटे को कुछ इस प्रकार पकड़ें कि आपका हाथ सिर से लगभग आठ इंच ऊपर हो। जल चढ़ाते समय सूर्य की रोशनी जल को पार कर आपके शरीर पर पड़नी चाहिए।