लाखों लीटर पानी बहा
यवतमाल. रविवार 3 अप्रैल की रात स्थानीय वाघापुर परिसर के काशिकर महाराज मठ के समीप अमृत जलापूर्ति योजना के तहत डाली जा रही मुख्य पाईपलाईन टेस्टींग के दौरान फूट गयी, जिससे कडे ग्रीष्मकाल में नागरिकों को जब पानी की जरुरत है, ऐसे समय में लाखों लीटर पानी रास्तों पर बह गया, यह पाईपलाईन फूट जाने से इस परिसर में बाढ जैसे हालत निर्माण हो गए.
रास्ते पर बडे पैमाने पर पानी बहने के साथ ही क्षेत्र के अनेक घरों में यह पानी घुस गया, जिससे नागरिकों कों काफी नुकसान उठाना पडा.रात 8 बजे के दौरान मुख्य पाईपलाईन के जरिए जलकुंभ में पानी चढाने की टेस्टींग करते समय यह लाईन फूटने की प्राथमिक जानकारी सामने आयी, लेकिन इस घटना के कारण परिसर के अनेक घरों में पानी घुस जाने से निवासी नागरिकों को नुकसान उठाना पडा.
बेंबला बांध से यवतमाल शहर में जलापूर्ति करने के लिए क्रियान्वीत हो रही अमृत जलापूर्ति योजना लंबे समय से विवादों में छायी है, तो दूसरी ओर इसके चलते अब तक अनेक दुर्घटनाएं होने के साथ ही शहर के रास्तों की र्दुदशा हो चुकी है. इसके पाईपलाईन की खुदाई करने खोदे गए रास्ते के किनारों के गड्डे में गिरकर अब तक 2 लोगों की जान चली गयी, तो दूसरी ओर घटीया स्तर के पाईपलाईन का इस्तेमाल किए जाने से टेस्टींग के दौरान अनेक बार पाईपलाईन फूट जाने, ब्लास्ट होने की घटनाएं हुई.
केंद्र, राज्य और स्थानिय नगरपालिका के सहयोग से शुरु की गयी 302 करोड रुपयों की यह अटल अमृत योजना में बडे पैमाने पर ठेकेदार और जनप्रतिनिधीत्व स्तपर भ्रष्टाचार हुआ है, घटीया पाईपलाईन, मनमानी कामकाज और तय डेडलाईन समय ईस्टीमेट के तहत काम न होने से दिसंबर 2019 की डेडलाईन वाली यह योजना 2022 के इस ग्रीष्मकाल में भी पूरी नहीं हो पायी है, जिससे यवतमालवासीयों को अब भी अमृत योजना से पानी नहीं मिल पाया है, तो दूसरी ओर जलकुंभों में जल चढाने के लिए घटीया स्तर की पाईपलाईन का ईस्तेमाल किए जाने से ही वाघापुर में पाईपलाईन फुटकर यह घटना होने की चर्चा सभी स्तरों पर जारी थी.
प्राप्त जानकारी के मुताबिक अमृत की मुख्य पाईपलाईन फूट जाने से काशिकर मठ परिसर में रहनेवाली चंदा ज्ञानेश्वर राऊत के मकान में बाढ के जैसे घर में पानी घुस गया, जिससे उसका छोटा बच्चा पानी के बहाव में बहता देख चंदा राऊत ने सतर्कता बरतते हुए उसे पानी के बहाव से बाहर निकाल लिया, जिससे प्राणहानी टल गयी, लेकिन इस महिला के घर में बडे पैमाने पर पानी घुस जाने से घरेलु सामान,अनाज, कपडे और जरुरी कागजात, बच्चों के शिक्षा के कागजात पानी में बहकर बर्बाद हो गये.
इसके अलावा इस परिसर के अनेक मकानों में पानी घुस जाने से घरों के सामान को नुकसान पहूंचा, नागरिकों को देर रात तक अपने घरों से पानी बाहर निकालने के लिए कडी मशक्कतें करनी पडी,लेकिन इस परिसर में पाईपलाईन फुटकर नागरिकों को हुए नुकसान की देर रात तक जीवन प्राधिकरण के अधिकारीयों ने सुध ना लेने से नागरिकों में रोष व्याप्त था.
पाईपलाईन अचानक फुट जाने से अमृत योजना के तहत काम कर रहे मजदुरों और कर्मचारीयों में भागदौड मच गयी, लेकिन काफी बडी पाईपलाईन अचानक फुट जाने और पानी का तेज बहाव होने से एैसे समय में क्या करें, यह किसी के समझ में नही आ रहा था.तो दुसरी ओर परिसर में बाढ जैसे हालत हो जाने से नागरिक रास्ते पर आकर घरों में पानी न घुसे इसके लिए भागदौड कर रहे थे.इस घटना के बाद जीवन प्राधिकरण और ठेकेदार के लापरवाही भरे काम से हुए नुकसान के चलते नागरिकों में गुस्सा व्याप्त था.इस बाढ जैसे हालत से हुए नुकसान का नागरिकों को मुआवजा कौन देंगा, एैसा सवाल भी कुछ नागरिकों ने उठाया है.
उल्लेखनिय है की कुछ सालों पुर्व अमृत योजना का काम करने का ठेका नासिक की आडके कंपनी को दिया गया था. इसने काम को अधुरा छोडकर उपठेकेदारों को इसके काम आवंटीत करते हुए काम बांटें, जो नियमों में नही था, इसके अलावा स्थानिय तत्कालीन पालकमंत्री और जनप्रतिनिधी और महाराष्ट्र जीवन प्राधिकार स्तर पर आडके निर्माण कंपनी के ठेकेदार आर.एल.आडके को कामों की शुरुआत में ही पाईप खरीदी के लिए 100 फिसदी राशि उपलब्ध करवायी गयी थी.
काम शुरु होने के बाद बेंबला बांध से यवतमाल तक पाईपलाईन डालने के लिए विशेष तौर पर मुरादाबाद से बीड के बडे पाईप आयात किए गए थे, जो डालने के बाद टेस्टींग के दौरान अनेक ठिकानों पर पानी के फोर्स से ब्लास्ट होकर टूकडे टूकडे हो गए थे.इस मामले में नागपुर की पाईपलाईन का दर्जा जांचनेवाली समिति ने जांच करते हुए सरकार को जो रिपोर्ट पेश की, उसमें घटीया स्तर के पाईप की खरीदी किए जाने की बात दर्ज की गयी थी, इसके बावजुद फिर से शहर में डाले गए पाईपलाईन की क्वालीटी भी घटीया होने की चर्चा जारी है.