ZP की सत्ता 5 तहसीलों के हाथ (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Yavatamal News: ज़िला परिषद चुनाव का कार्यक्रम अभी घोषित नहीं हुआ है, लेकिन निर्वाचन क्षेत्रों की संरचना तय हो गई है। इससे यह स्पष्ट है कि ज़िला परिषद की सत्ता की चाबी इस बार ज़िले के सिर्फ़ पांच तहसीलों के हाथ में होगी। कुल 62 सदस्यों में से 29 सदस्य इन पांच तहसीलों से होंगे। इसलिए महायुति और महाआघाड़ी के नेताओं ने अपना ‘फ़ोकस’ केवल पांच तहसीलों पर केंद्रित कर दिया है। ज़िले में कुल सोलह पंचायत समितियां है। प्रशासन ने इन 16 पंचायत समितियों के क्षेत्रों में ज़िला परिषद के 62 निर्वाचन क्षेत्र (मंडल) निर्धारित किए हैं। यानी आगामी ज़िला परिषद चुनाव में 62 सदस्य चुने जाएंगे।
हालांकि 16 तहसीलों में से 29, यानी आधे जिला परिषद सदस्य, केवल पांच तहसीलों से ही आएंगे। जाहिर है, जिस राजनीतिक दल के सदस्य इन पांच तालुकाओं में सबसे ज़्यादा जीतेंगे, उसे जिला परिषद की सत्ता पर कब्ज़ा करना आसान होगा। संभागीय आयुक्त ने ऐन पोला के दिन, यानी 22 अगस्त को जिला परिषद और पंचायत समिति के वार्ड ढांचे को अपनी अंतिम मंज़ूरी दे दी। इसलिए, अब वार्डों का आरक्षण क्या होगा, इसे लेकर कयासबाज़ी शुरू हो गई है। साथ ही, राजनीतिक नेताओं ने संबंधित समूहों और गणों के बीच अपने ‘मोहर’ तय करने शुरू कर दिए हैं। इसमें ज़िला परिषद के सबसे ज़्यादा निर्वाचन क्षेत्रों (समूहों) वाले पांच तहसीलों में मज़बूत नामों की तलाश की जा रही है।
दिवाली के बाद ज़िला परिषद के चुनाव होने के संकेत हैं। इसके लिए महायुति में भाजपा, शिंदे की शिवसेना, अजित पवार की राकांपा के साथ-साथ महाअघाड़ी में कांग्रेस, राकांपा शरद चंद्र पवार, उबाठा शिवसेना अपने-अपने तरीके से जिले में ताकत आजमाते नजर आ रहे हैं। भाजपा ने कार्यकर्ता बैठकों की झड़ी लगा दी है। इसमें स्थानीय नेता ‘आत्मबल’ को लेकर खुलकर बयान दे रहे हैं। शिवसेना भी जिले में संपर्क बैठकें जोरों पर कर रही है। दूसरी ओर कांग्रेस के ‘दूसरे स्तर’ के नेताओं ने बैठकें कर अपनी-अपनी पार्टी के नेताओं को ‘दिया’ है। इसलिए हर बार की तरह इस बार भी टिकटों के लिए होड़ बढ़ने की संभावना है।
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यवतमाल जिला परिषद के कुल 62 निर्वाचन क्षेत्र हैं। इनमें से पुसद तहसील में सबसे अधिक 8, उमरखेड़ में 6 और महागांव, दारव्हा और वणी तहसील में 5-5 निर्वाचन क्षेत्र हैं। इसलिए, इन पांच तहसीलों के 29 में से सबसे ज़्यादा ज़िला परिषद सदस्य चुनने वाली पार्टी के पास सत्ता की चाबी होगी। जबकि बाकी 11 तहसीलों में 33 सीटें रहेंगी। इनमें से केलापुर, यवतमाल और आर्णी में 4-4 मंडल हैं। कलंब, रालेगांव, घाटंजी, नेर, दिग्रस तहसीलों में 3-3 मंडल हैं। जबकि बाभुलगांव, मारेगांव और झरी तहसील में सिर्फ़ 2-2 सदस्य हैं। इसलिए, ज़िले के आधे से ज़्यादा हिस्से पर सिर्फ़ पांच तहसीलों का दबदबा रहेगा।
ज़िला प्रशासन द्वारा ज़िला परिषद वार्डों की मसौदा योजना प्रकाशित होते ही ज़िले से 29 आपत्तियां दर्ज की गईं। जिनमें से 11 आपत्तियां अकेले उमरखेड तहसील से थीं। बाद में अंतिम वार्ड गठन से पहले, सभी 11 आपत्तियों को संभागीय आयुक्त ने खारिज कर दिया। इसके अलावा, पिछले साल हुए विधानसभा चुनावों में इस तहसील में कुछ वरिष्ठ नेताओं ने ‘पाला बदल लिया’ था। इसलिए, संकेत मिल रहे हैं कि जिला परिषद चुनावों में उमरखेड़ में मुकाबला सबसे ज़्यादा रंगारंग होगा।