CDS अनिल चौहान, फोटो: सोशल मीडिया
CDS Anil Chauhan: चीन और पाकिस्तान को सीधा संदेश देते हुए कहा कि भारत शांति का समर्थक है, लेकिन केवल इच्छा से शांति नहीं मिलती, इसके लिए ताकत भी जरूरी है। उन्होंने साफ कहा, “अगर आप शांति चाहते हैं तो युद्ध के लिए तैयार रहना होगा।”
उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र करते हुए बताया कि यह एक आधुनिक संघर्ष था, जिससे कई अहम सबक सीखे गए। उनमें से अधिकांश सुधार लागू किए जा चुके हैं और कुछ पर अमल जारी है। ऑपरेशन अभी भी चल रहा है, लेकिन अब फोकस भविष्य की रणनीति पर है।
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने देश की सुरक्षा और भविष्य की तैयारियों पर खुलकर बात की। उन्होंने चीन और पाकिस्तान को अप्रत्यक्ष रूप से कड़ा संदेश देते हुए कहा कि भारत हमेशा से शांति का समर्थक रहा है, लेकिन ताकत के बिना शांति केवल कल्पना बनकर रह जाती है। भारत शांतिप्रिय राष्ट्र है, मगर इसे कभी भी शांतिवादी नहीं समझा जाना चाहिए। उन्होंने एक लैटिन उद्धरण का हवाला देते हुए कहा कि यदि आप शांति चाहते हैं तो युद्ध के लिए हमेशा तैयार रहना होगा।
जनरल चौहान ने अपने संबोधन में ऑपरेशन सिंदूर का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि यह एक आधुनिक संघर्ष था, जिससे कई अहम सबक सीखे गए। उन सबकों के आधार पर कई सुधार लागू कर दिए गए हैं और कुछ पर अभी काम चल रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि ऑपरेशन सिंदूर अभी भी जारी है। हालांकि, इस सेमिनार का उद्देश्य ऑपरेशन सिंदूर की समीक्षा करना नहीं, बल्कि उससे आगे की सुरक्षा रणनीति पर विचार करना है।
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सीडीएस चौहान ने आगे कहा कि बदलते समय में केवल शांति की इच्छा रखना पर्याप्त नहीं है। किसी भी राष्ट्र को वैश्विक और क्षेत्रीय चुनौतियों का सामना करने के लिए अपनी सैन्य क्षमता को मजबूत बनाना ही होगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत की सुरक्षा नीति में आत्मनिर्भरता और दीर्घकालिक रणनीतिक सोच अहम है।
सीडीएस चौहान ने भारत की नई रक्षा प्रणाली सुदर्शन चक्र का भी जिक्र किया। इस प्रणाली की घोषणा प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस पर की थी। जनरल चौहान ने बताया कि उम्मीद है कि वर्ष 2035 तक यह प्रणाली पूरी तरह से विकसित हो जाएगी। सुदर्शन चक्र भारत की सुरक्षा रणनीति में एक नया अध्याय साबित होगा। यह प्रणाली देश के महत्वपूर्ण सैन्य ठिकानों, नागरिक स्थलों और राष्ट्रीय महत्व के स्थानों को सुरक्षित रखने में अहम भूमिका निभाएगी। इसके आने से भारत की रक्षा क्षमताएं न केवल और अधिक आधुनिक होंगी, बल्कि भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी स्थिति और मजबूत कर सकेगा।