गणेश प्रतिमा बनाता कुम्हार (सोर्स: सोशल मीडिया)
Wardha Clay Ganesh Idol News: वर्धा जिले में गणेशोत्सव के अवसर पर स्थानीय कुम्हारों द्वारा तैयार की गई मिट्टी की प्रतिमाएं इस वर्ष बाजार में अपेक्षित बिक्री नहीं कर पाईं। इसका मुख्य कारण बाहरी जिलों से विशेषतः अमरावती, नागपुर और काटोल से बड़ी मात्रा में लाई गई प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) से बनी गणेश प्रतिमाएं रहीं। ये प्रतिमाएं आकर्षक होने के साथ-साथ कम कीमत में उपलब्ध थीं, जिसके चलते बाजार में इनकी मांग अधिक रही और बिक्री भी जोरों पर हुई।
इस स्थिति ने जिले के कुम्हारों को भारी आर्थिक संकट में डाल दिया है। महीनों की मेहनत से तैयार की गई मिट्टी की प्रतिमाएं बिक्री के लिए बाजार में उपलब्ध थीं, लेकिन ग्राहकों का रुझान पीओपी की सस्ती और दिखावटी प्रतिमाओं की ओर अधिक रहा।
परिणामस्वरूप, बड़ी संख्या में मिट्टी की मूर्तियां बिना बिके रह गईं, जिससे कुम्हारों को न केवल नुकसान झेलना पड़ा, बल्कि उनका लागत मूल्य भी वसूल नहीं हो सका।
स्थानीय कुम्हारों ने पीओपी की मूर्तियों की बिक्री का शुरू से ही विरोध किया था। पर्यावरण के दृष्टिकोण से भी पीओपी प्रतिमाएं हानिकारक मानी जाती हैं। इसके बावजूद, कोर्ट द्वारा कुछ शर्तो और नियमों के आधार पर राज्य में पीओपी प्रतिमा निर्माण को अनुमति दी गई, जिसका फायदा उठाते हुए कई व्यापारियों ने अन्य जिलों से पीओपी की प्रतिमाएं मंगवाई और बड़ी मात्रा में उनकी बिक्री की। स्थानीय प्रशासन ने भी इस बार किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की।
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इस स्थिति ने स्थानीय कुम्हारों के सामने रोज़गार और आर्थिक अस्तित्व का संकट खड़ा कर दिया है। वे अब सरकार से आर्थिक राहत की मांग कर रहे हैं। स्थानीय संगठनों और नागरिकों ने भी कुम्हारों की सहायता के लिए सरकार से उचित कदम उठाने की अपील की है, ताकि पारंपरिक मूर्तिकला को संरक्षित किया जा सके और स्थानीय कलाकारों का भविष्य सुरक्षित रह सके।
हर साल बाहरी क्षेत्रों से आयातित पीओपी मूर्तियों की जिले में बड़ी मात्रा में बिक्री हो रही है़ परिणामवश स्थानीय कुम्हारों का रोजगार छीन गया है। सरकार ने पारंपारिक व्यवसय जीवीत रखने के लिए स्थानीय कुम्हारों को आर्थिक सहायता देने के साथ जरूरी उपाययोजना करनी चाहिए।
यह मांग स्थानीय मुर्तिकार अरुण वालदे, किसना बोरसरे, हनुमंत बोरसरे, उमेश प्रजापति, चंदन प्रजापति, विजू कपाट, राजकुमार प्रजापति, गोपाल प्रजापति सहित, अशोक कुदेवाल सहित अन्य मुर्तिकारों ने की है।