वर्धा न्यूज
Maharashtra Local Body Elections: वर्धा में स्थानीय निकाय संस्था के चुनाव की आगाज़ और तैयारी शुरू होने के कारण सभी राजनीतिक दल मैदान में सक्रिय हो गए हैं। कांग्रेस व उसके सहयोगी गठबंधन विभिन्न समस्याओं पर आंदोलन अथवा ज्ञापन देने पर जोर दे रहे हैं, जबकि भाजपा के नेता, पदाधिकारी व कार्यकर्ता बैठकों व जनसंपर्क पर जोर देकर जनता में जोश भरने का कार्य कर रहे हैं।
सरकार की विभिन्न योजनाओं के माध्यम से भाजपा अपनी जमीन तैयार कर रही है, वहीं कांग्रेस गठबंधन भाजपा सरकार की कमियों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। स्थानीय निकाय चुनाव लगभग 3 वर्ष से नहीं हुए हैं। प्रशासक शासन में अनेक समस्याएं उत्पन्न होने से इसका सीधा असर जनता पर पड़ा है। स्थानीय स्वराज संस्था की चाबियां पूर्ण रूप से सत्ता पक्ष के पास हैं। सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के बाद चुनाव का रास्ता साफ हो गया है।
आने वाले 2 माह में चुनाव होने का अनुमान है। परिणामस्वरूप सभी राजनीतिक दल और संभावित प्रत्याशी सक्रिय हो गए हैं। चुनाव के मद्देनज़र बीते माह भाजपा ने विदर्भ की बैठक वर्धा में आयोजित कर चुनाव का शंखनाद किया था। भाजपा के बाद कांग्रेस व उसके सहयोगी दल भी चुनावी तैयारी में जुट गए हैं। किसानों की समस्या, साफ-सफाई, आरक्षण और अन्य स्थानीय मुद्दों पर कांग्रेस व उसके सहयोगी सरकार को घेरने की कोशिश कर रहे हैं।
फिलहाल कांग्रेस गठबंधन का आंदोलन व ज्ञापन तक सीमित दिख रहा है। वहीं भाजपा के पदाधिकारी व कार्यकर्ता सत्ता का लाभ उठाते हुए जनता से वादे कर रहे हैं। शनिवार को भाजपा ने पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं की बैठक लेकर स्थानीय निकाय संस्था के साथ ही पदवीधर निर्वाचन क्षेत्र की तैयारी की समीक्षा की। कांग्रेस की तुलना में भाजपा दो कदम आगे दिख रही है।
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कांग्रेस गठबंधन जनता व किसानों की नाराजगी का लाभ उठाने की कोशिश में जुट गया है। जिले के विविध प्रश्नों को लेकर कांग्रेस व उसके सहयोगी दल के समर्थक भाजपा पर कटाक्ष कर रहे हैं, तो दूसरी ओर भाजपा के नेता इसका करारा जवाब दे रहे हैं। वर्तमान में सोशल मीडिया पर राजनीतिक जंग छिड़ी हुई है।
चुनाव की आगाज़ होने के कारण सभी दलों के संभावित प्रत्याशी और इच्छुक सक्रिय हो गए हैं। अपने-अपने क्षेत्र में उन्होंने संपर्क बढ़ाने पर जोर दिया है। सुबह तथा शाम प्रत्याशियों का संपर्क अभियान तेज है। मात्र बारिश, साफ-सफाई और अन्य मुद्दों के कारण दोनों गठबंधनों के इच्छुकों को जनता की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है। नवरात्रि के उपरांत यह संपर्क अभियान और तेज होने की संभावना है।