संशोधित विकास योजना पर सवाल (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Mira-Bhayander: मीरा-भाईंदर की संशोधित मसौदा विकास योजना (आरडीडीपी) को लेकर कानूनी लड़ाई तेज हो गई है। शहर के नागरिकों और सामाजिक संगठनों द्वारा उठाए गए सवालों के आधार पर मुंबई हाईकोर्ट में एक रिट याचिका दायर की गई है। इस पर मंगलवार, 23 सितंबर को न्यायमूर्ति एस। सी। घुगे और न्यायमूर्ति अश्विन बोबे की खंडपीठ सुनवाई करेगी।
याचिका में कहा गया है कि मीरा-भाईंदर की विकास योजना को लागू करने में गंभीर प्रक्रियात्मक और कानूनी त्रुटियां हुई हैं। 28 अक्टूबर 2022 को एमआरटीपी अधिनियम की धारा 26(1) के तहत मसौदा विकास योजना का नोटिस जारी किया गया, लेकिन नागरिकों को पर्याप्त जानकारी नहीं दी गई।
शहर के विभिन्न राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठनों और जागरूक नागरिकों ने आपत्तियां और सुझाव दर्ज कराए, मगर ठाणे में नियुक्त अधिकारियों ने उन पर अपर्याप्त और अनुचित तरीके से विचार किया। 25 अक्टूबर 2023 को धारा 28(4) के तहत महत्वपूर्ण बदलाव नागरिकों की राय को दरकिनार कर किए गए। 3 जनवरी 2025 को याचिकाकर्ताओं द्वारा सौंपे गए विस्तृत ज्ञापन में कानूनी और पर्यावरणीय निहितार्थों पर जोर दिया गया, लेकिन अधिकारियों ने इसे नज़रअंदाज़ कर दिया। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि प्रशासन की ओर से देरी, पारदर्शिता की कमी और मनमाने ढंग से फैसले लेने की प्रवृत्ति देखने को मिली है, जो उचित प्रक्रिया का उल्लंघन है।
वर्तमान में मीरा-भाईंदर की आबादी करीब 13 लाख है, जो आने वाले वर्षों में बढ़कर 30 लाख तक पहुंचने का अनुमान है, लेकिन मौजूदा विकास योजना केवल 20 लाख की जनसंख्या को ध्यान में रखकर तैयार की गई है।
याचिकाकर्ता विकास सिंह और अन्य ने कहा कि योजना में 20 वर्षों बाद की जनसंख्या वृद्धि का सही आकलन नहीं किया गया। उन्होंने बताया कि संशोधित विकास योजना में 12 मीटर और 30 मीटर की सड़कें, मेट्रो कार शेड, पार्किंग व्यवस्था, ट्रॉमा सेंटर, पशु अस्पताल, हेलीपैड, मेट्रो स्टेशन क्षेत्र में पार्किंग सुविधा, पार्क, मैदान, स्कूल, सब्जी बाजार, मछली बाजार, श्मशान, पुलिस मुख्यालय, परेड ग्राउंड और बस्तियों के लिए आरक्षण का प्रस्ताव किया गया है।
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इस पूरे मामले पर मीरा-भाईंदर कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता प्रकाश नागणे ने कहा कि शहरी नियोजन केवल प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि इसमें नागरिकों की सक्रिय भागीदारी और पारदर्शिता सुनिश्चित होनी चाहिए। उनके अनुसार, विकास योजना में हुई त्रुटियां इस बात का प्रमाण हैं कि नागरिकों की आपत्तियों और सुझावों की अनदेखी की गई है। उन्होंने कहा कि इस अन्याय के खिलाफ आम लोगों के माध्यम से आवाज उठाई जा रही है ताकि भविष्य की योजना प्रक्रिया लोकतांत्रिक और पारदर्शी हो सके।