नागपुर मेडिकल कॉलेज में प्रसूता वार्ड के सामने कराई गई महिला डिलीवरी (सोर्स: सोशल मीडिया)
Nagpur Medical Hospital News: एक ओर जहां मेडिकल में करोड़ों रुपये के विकास कार्यों के माध्यम से चेहरा-मोहरा बदलने का दावा किया जा रहा है वहीं दूसरी ओर भीतरी व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ है। अब भी गंभीर मरीजों को ओपीडी और कैजुअल्टी में स्ट्रेचर के लिए भटकना पड़ता है। स्ट्रेचर मिल भी जाए तो उसे खींचने वाले कर्मचारी नहीं होते।
इसी तरह की एक घटना नागपुर के मेडिकल अस्पताल से सामने आई है। यहां प्रसूता महिला को स्ट्रेचर नहीं मिला। जब उसे परिजन वार्ड की ओर से लेकर जा रहे थे तभी ट्राइसिकल पर बैठे हुए डिलीवरी हो गई। इस घटना ने एक बार फिर लापरवाह कार्यप्रणाली को उजागर कर दिया है।
बताया गया कि शुक्रवार की सुबह अमरावती के कारंजा लाड निवासी इंद्रजीत अपनी गर्भवती पत्नी को लेकर मेडिकल आया। महिला को तड़के ही प्रसव पीड़ा शुरू हो गई। परिजनों की मदद से मेडिकल पहुंचे। पहले कैजुअल्टी में प्राथमिक जांच कराई। यहां से उसे वार्ड क्रमांक 69 के लिए रेफर किया गया।
दर्द बढ़ता ही जा रहा था और स्थिति नाजुक बनती जा रही थी। परिजनों ने कर्मचारी से स्ट्रेचर मांगा लेकिन कर्मचारी ने पहले आधार कार्ड दिखाने और फिर स्ट्रेचर की बात कही। परिजन जल्दबाजी में आधार साथ लाना भूल गये थे। आधार कार्ड नहीं होने से स्ट्रेचर नहीं मिला।
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फिर उसे ट्राइसिकल पर बैठाकर वार्ड की ओर लेकर जाने लगे। तभी वार्ड क्रमांक 69 के सामने ही महिला की प्रसूति हो गई। तभी वहां मौजूद लोगों ने वार्ड से हरे पर्देवाली पार्टिशन ट्राली लाई। महिला को चारों ओर से ढंका गया।
वार्ड में मौजूद एक महिला इंटर्न डॉक्टर तुरंत दौड़कर आई। उसने नवजात को संभाला। फिर महिला को वार्ड क्रमांक 22 में शिफ्ट किया गया। अब महिला व नवजात की स्थिति सामान्य बताई जा रही है।
इस घटना के दौरान वहां मौजूद अनिकेत कुत्तरमारे ने बताया कि स्ट्रेचर देने के लिए आधार कार्ड की मांग की गई थी। डॉक्टरों के अनुसार इस तरह की डिलीवरी सामान्य बात है लेकिन कैजुअल्टी में यदि गंभीर मरीज को स्ट्रेचर और उसे खींचने वाला कर्मचारी नहीं मिलता तो यह दुखद है। मामले की जांच होनी चाहिए और वहां मौजूद कर्मचारी से पूछताछ भी जरूरी है।