
अजित पवार Vs शरद पवार (सौ. सोशल मीडिया )
Pune News In Hindi: महाराष्ट्र में नगर परिषद और नगर पंचायत चुनावों की घोषणा के बाद अब मुकाबला बेहद दिलचस्प हो गया है। राकांपा में हुई टूट के बाद सत्ता हासिल करने की जंग और भी तेज हो गई है। इस बार होने वाले नगर परिषद और नगर पंचायत चुनावों में दोनों राष्ट्रवादी गुटों की परीक्षा होग।
वहीं कांग्रेस को अपना अस्तित्व बचाने के लिए संघर्ष करना पड़ेगा। राज्यभर की निगाहें अब बारामती नगर परिषद के चुनाव पर टिक गई हैं, क्योंकि इस बार नगराध्यक्ष का चुनाव सीधे जनता द्वारा लड़ा जाएगा। इसलिए बारामती में ‘पवार बनाम पवार’ का रोमांचक मुकाबला देखने को मिल सकता है।
पुरंदर और वेल्हा तहसील में पहले कांग्रेस का दबदबा था, लेकिन कांग्रेस के वरिष्ठ नेता संजय जगताप और संग्राम थोपटे के अपने समर्थकों के साथ भाजपा में शामिल होने के कारण इन दोनों तहसीलों में भाजपा की ताकत काफी बढ़ गई है।
ऐसे में कांग्रेस को अब अपना अस्तित्व बचाए रखने के लिए जमकर पसीना बहाना होगा। दूसरी ओर शिवसेना में हुई टूट के बाद पार्टी के दोनों गुट भी अपनी अपनी ताकत साबित करने के लिए जोर-आजमाइश में जुटे हैं।
हर राजनीतिक दल अपनी स्थानीय पकड़ मजबूत करने के लिए रणनीति तैयार कर रहा है। इस बार नगराध्यक्ष का चुनाव सीधे जनता द्वारा 5 साल के कार्यकाल के लिए लड़ा जाएगा, जिसके कारण इच्छुकों ने प्रचार की पूरी तैयारी शुरू कर दी है।
पिछले नगर परिषद चुनाव में अधिकांश स्थानों पर राजनीतिक दलों ने स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ा था, लेकिन इस बार दलों में हुई फूट और नए गठबंधनों के चलते हालात पूरी तरह से बदल चुके है। भाजपा में लगातार नए नेताओं की इनकमिंग जारी है वहीं महाविकास आघाडी और महायुति दोनों ही गठबंधन स्थानीय स्तर पर कितने सक्रिय रहेंगे, इस पर संशय कायम है।
जिले के 14 नगर परिषदों और 3 नगर पंचायतों के चुनावों की घोषणा हो चुकी है, लेकिन अब तक यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि पार्टिया गठबंधन के साथ चुनाव में उतरेगी या स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ेगी। इस अनिश्चितता के कारण इच्छुक उम्मीदवारों में भ्रम की स्थिति बनी हुई है, ऐसे में कई नेताओं ने स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने की तैयारी शुरू कर दी है।
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दौंड नगर परिषद में प्रेमसुख कदारिया के नेतृत्व वाले नागरिक हित संरक्षण मंडल व मित्र पक्ष का प्रभाव पहले से ही रहा है। वहां राष्ट्रवादी कांग्रेस के 12 और शिवसेना के 2 पार्षद थे। अब बदलते राजनीतिक समीकरण में भी स्थानीय आघाडी निर्णायक साबित हो सकती है। इसी तरह शिरूर नगर परिषद में प्रकाश धारिवाल की विकास आघाडी ने पिछली बार 18 सीटें जीती थीं। भाजपा, राकां, कांग्रेस और अन्य पार्टी के बावजूद फिर से स्थानीय आघाडी का वर्चस्व बने रहने की संभावना है।






