पुणे कर्वे रोड (pic credit; social media)
Maharashtra News: भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री जे.पी. नड्डा के हालिया पुणे दौरे को लेकर अब विवाद खड़ा हो गया है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने ट्रैफिक पुलिस से सवाल किया है कि आखिर कर्वे रोड को कब से वीआईपी रोड घोषित कर दिया गया और यह आदेश किसके कहने पर लागू हुआ।
दरअसल, नड्डा के दौरे से पहले ट्रैफिक पुलिस के अधिकारियों ने कर्वे रोड स्थित दुकानदारों को ग्राहकों की गाड़ियां हटाने के लिए कहा। मनसे के राज्य महासचिव हेमंत संभूस ने इस पर आपत्ति जताई और अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (ट्रैफिक) मनोज पाटिल को पत्र लिखकर नाराजगी जताई।
संभूस का कहना है कि अधिकारियों ने दुकानों में जाकर ग्राहकों को बदतमीजी से गाड़ियां हटाने को कहा और यह तक कह दिया कि “यह वीआईपी रोड है, यहां गाड़ी मत लगाओ।” उन्होंने सवाल उठाया कि आखिरकार किसी नेता के दौरे के लिए नागरिकों और दुकानदारों को क्यों परेशान किया जा रहा है।
इसे भी पढ़ें- पुणे वार्ड संरचना पर सियासी बवाल, अजित पवार ने भाजपा को लगाई फटकार
कर्वे रोड पर खंडूजीबाबा चौक से नलस्टॉप तक सड़क के दोनों ओर दुकाने हैं और यहां वाहन पार्किंग की अनुमति है। कुछ साल पहले भी ट्रैफिक विभाग ने इस क्षेत्र में पार्किंग पर रोक लगाने का आदेश दिया था, लेकिन दुकानदारों के विरोध के बाद यह निर्णय वापस लेना पड़ा। अब एक बार फिर मौखिक आदेशों का हवाला देकर गाड़ियां हटाने का प्रयास किया जा रहा है।
मनसे नेता ने यह भी कहा कि नेताओं के दौरे ऐसे मार्गों पर रखना ही गलत है, जहां पहले से ही ट्रैफिक जाम की समस्या रहती है। उन्होंने चेतावनी दी कि आगे से किसी भी वीआईपी दौरे से पहले दुकानदारों और नागरिकों को पूर्व सूचना दी जानी चाहिए। साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि केवल मौखिक आदेश से कोई भी सड़क वीआईपी घोषित नहीं हो सकती।
स्थानीय दुकानदारों ने भी इस कार्रवाई पर नाराजगी जताई और कहा कि ऐसे कदमों से उनका व्यापार प्रभावित होता है। फिलहाल, इस विवाद के बाद अब ट्रैफिक पुलिस पर दबाव है कि वह इस मामले पर अपनी स्थिति स्पष्ट करे।