बारामती बनेगा एजुकेशनल हब (pic credit; social media)
Maharashtra News: बारामती तहसील, जो अब तेजी से ‘एजुकेशनल हब’ के रूप में पहचान बना रही है, शिक्षा क्षेत्र में बड़ा बदलाव देख रही है। तहसील के 275 जेडपी स्कूलों में से 241 स्कूल डिजिटल हो चुके हैं। यह पहल संपर्क फाउंडेशन और प्रथम इन्फोटेक के सहयोग से संभव हुई है। हालांकि अभी भी कुछ स्कूल स्मार्ट टीवी और कंप्यूटर जैसी सुविधाओं से वंचित हैं।
लिमटेक का प्राथमिक स्कूल इस बदलाव का आदर्श उदाहरण बन गया है। यहां स्मार्ट टीवी, डिजिटल बोर्ड, वाई-फाई और ‘अलेक्सा’ जैसे उपकरणों के साथ एक अलग कंप्यूटर लैब भी है। पहली से सातवीं तक के छात्र डिजिटल माध्यम से पढ़ाई कर रहे हैं। होमवर्क और अन्य गतिविधियों के लिए हर क्लास का अलग वॉट्सऐप ग्रुप बनाया गया है, वहीं ‘MAA’ वेबसाइट शिक्षा संबंधी सवालों को हल करने में मदद करती है। छात्रों की सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं।
गट शिक्षाधिकारी, बारामती, नीलेश गवली का कहना है कि डिजिटल उपकरणों ने शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि अभी भी कुछ स्कूलों को इन सुविधाओं की आवश्यकता है और इसके लिए समाज की मदद जरूरी है।
मुख्यमंत्री माझी शाळा सुंदर शाळा अभियान के तहत लिमटेक स्कूल को 2023-24 में तीसरा और 2024-25 में दूसरा स्थान मिला। यह सफलता बारामती की शिक्षा गुणवत्ता को दर्शाती है।
तहसील के आंकड़ों के अनुसार, 275 स्कूलों में से 241 डिजिटल, जबकि 34 गैर-डिजिटल हैं। इनमें से 228 स्कूलों में टीवी हैं और 47 में नहीं। ई-लर्निंग की सुविधा केवल 48 स्कूलों में है। वहीं, 117 स्कूलों में कंप्यूटर हैं जबकि 158 स्कूल अब भी इनसे वंचित हैं।
शिक्षा विभाग का मानना है कि बारामती की आर्थिक समृद्धि और सीएसआर फंड का उपयोग करके बाकी स्कूलों में भी स्मार्ट टीवी, कंप्यूटर और ई-लर्निंग की सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सकती हैं। स्थानीय उद्यमियों, समाजसेवकों और ग्रामीणों की भागीदारी से यह सपना जल्द ही हकीकत बन सकता है।