विदर्भ के किसानों को बारिश का इंतजार। (सौजन्यः सोशल मीडिया)
पुणे: वातावरण में इतनी उमस होने लगी है कि दम घुटने लगता है। गर्मी के ‘नवतपा’ का तो बिल्कुल भी अहसास नहीं हुआ, लेकिन ‘मृगतापा’ सभी के लिए असहनीय होता जा रहा है। मृग नक्षत्र के शुरू होते ही सिंचाई सुविधा वाले किसान कपास की खेती में जुट गए हैं। हालांकि पिछले 12 दिनों से भारी बारिश नहीं होने से किसान चिंतित हैं। मानसून के आने में देरी के कारण किसानों ने बुवाई रोक दी है।
बारिश अच्छी होने पर किसान बुवाई के लिए तैयार हो जाते हैं। खरीफ सीजन शुरू हो चुका है। किसानों ने कृषि कार्य कर जमीन को बुवाई के लिए तैयार कर लिया है। मृग नक्षत्र शुरू हो चुका है और आधा बीत चुका है। किसान सोयाबीन और कपास के बीज और रासायनिक खाद खरीदने के लिए पैसे का इंतजाम कर रहे हैं। कुछ किसान लकड़ी के औजारों की मरम्मत में भी व्यस्त हैं। खरीफ सीजन की शुरुआत मृग नक्षत्र से होती है। मौसम विभाग ने भविष्यवाणी की है कि इस साल समय पर और संतोषजनक बारिश होगी। इससे किसानों का उत्साह बढ़ा है।
क्षेत्र के कई किसान आज भी जुताई और बुवाई के लिए पारंपरिक औजारों का उपयोग करते हैं। बुवाई हो जाने के बाद इन औजारों को सुरक्षित स्थान पर रख दिया जाता है। अगले साल फिर से इनका उपयोग करते हैं। चूंकि ये औजार लकड़ी के बने होते हैं, इसलिए ये अक्सर टूट जाते हैं। टूटे औजारों की मरम्मत के लिए किसान कारीगरों के पास जा रहे हैं। 22 जून से आद्रा नक्षत्र बनेगा। रामटेक तालुका में पिछले 5 दिनों में संतोषजनक बारिश नहीं हुई है। इससे किसानों की चिंता बढ़ गई है। नागरिक सूखे को लेकर चिंतित हैं।
पिछले 5 दिनों से भारी बारिश नहीं होने के कारण किसानों ने कृषि विक्रेताओं से बीज और खाद की मांग कम कर दी है। इसके कारण कृषि विक्रेताओं की दुकानें सूनी हो गई हैं। यदि बारिश होती तो कृषि विक्रेताओं की दुकानों पर किसानों की भीड़ लग जाती। लेकिन, बारिश में देरी के कारण बीज की बिक्री पर असर पड़ा है।
मृग नक्षत्र के शुरू होते ही कपास की फसल लगाने वाले किसान अब सिंचाई पर जोर दे रहे हैं। कुछ किसानों के खेतों में पनहटी सिर पर आ गई है। चूंकि इस फसल को पानी की जरूरत होती है, इसलिए ड्रिप सिंचाई के जरिए फसल को बचाया जा रहा है। हालांकि, जिन किसानों के पास सिंचाई के साधन नहीं हैं, वे बेसब्री से बारिश का इंतजार कर रहे हैं।
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तो वहीं इसके बिल्कुल विपरीत कोल्हापुर की बात करें तो शहर और जिले में बारिश ने कहर बरपाया हुआ है। गुरुवार शाम को तेज गड़गड़ाहट और बिजली के साथ हुई भारी बारिश के कारण स्कूल और दफ्तरों से घर जा रहे विद्यार्थियों और नागरिकों को काफी मशक्कत करनी पड़ी।
शहर के कई निचले इलाकों में घुटनों तक पानी भर जाने और कई प्रतिष्ठानों और घरों में पानी घुस जाने से सामान्य जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। दूसरी ओर, पुणे-बेंगलुरु राष्ट्रीय राजमार्ग पर कई जगहों पर बारिश का पानी भर जाने से यातायात धीमा हो गया है। दूसरी ओर, गोकुल शिरगांव और सरनोबटवाड़ी में नाले के पानी में दो लोग बह गए और उनमें से एक को आपदा प्रबंधन विभाग ने बचा लिया है, जबकि दूसरे की तलाश जारी है।
बता दें कि पिछले 40 दिनों में बेमौसम बारिश ने मराठवाड़ा के 17,000 हेक्टेयर में फसलों और फलों की फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया है। बीड, नांदेड़ और लातूर जिले सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। प्रभावित किसान नुकसान के लिए तत्काल मुआवजे की मांग कर रहे हैं। इस बीच, संभागीय आयुक्तालय के सूत्रों के अनुसार, इसी अवधि के दौरान प्राकृतिक आपदाओं के कारण 38 लोगों की मौत हो गई है और 51 लोग घायल हुए हैं।