
(प्रतीकात्मक तस्वीर)
Pune News In Hindi: मावल तहसील के बेवडओल गांव में एक कंपनी के रासायनिक युक्त पानी से ग्रामीण बुरी तरह परेशान हैं। कंपनी इस दूषित पानी को बिना किसी उचित ट्रीटमेंट के सीधे नाले में छोड़ रही है।
यह नाले का पानी पीने से यहां के जानवरों को तरह-तरह की बीमारियां हो रही हैं। इससे भी अधिक चिंताजनक यह है कि यह दूषित पानी आगे जाकर पवना नदी में मिल रहा है। इसी नदी के पानी का उपयोग ग्रामीण पीने के लिए करते हैं, जिससे उनके स्वास्थ्य को गंभीर खतरा पैदा हो गया है। ग्रामीणों ने मांग की है कि कंपनी जल्द से जल्द नाले में दुषित पानी छोड़ना बंद करे, अन्यथा उन्होंने आंदोलन करने की चेतावनी ग्रामीणों ने दी है।
इस मामले में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कंपनी को नोटिस जारी किया था, लेकिन इसके बावजूद कंपनी द्वारा लगातार दूषित पानी नाले में छोड़ा जा रहा है। प्रशासन और संबंधित कंपनी द्वारा इस मामले की अनदेखी किए जाने से नागरिकों को बेवजह परेशानी झेलनी पड़ रही है।
इस दूषित पानी से विजय घारे, बालासाहेब घारे, छबन घारे, त्रिंबक घारे, मधुकर घारे, मनोज घारे, भरत घारे, राजेंद्र घारे, आनंद घारे, प्रदीप घारे, अभिषेक शिलीमकर जैसे कई किसानों की खेती की जमीन को भारी नुकसान हुआ है।
साथ ही, उनके पशुधन भी बीमारियों से ग्रस्त हो रहे हैं। इन सभी ग्रामीणों ने कंपनी से तुरंत यह दूषित पानी बंद करने की मांग की है। बार-बार शिकायत के बावजूद कंपनी की अनदेखी से नागरिकों में काफी नाराजगी है।
कंपनी द्वारा अपशिष्ट जल नहीं छोड़ा जाता है। हम इस पानी के टैंक में जमा करके रखते हैं और इसका पुनः उपयोग करते हैं। इस जमा किए गए पानी के भंडार की रिपोर्ट प्रतिदिन मंगवाई जाती है। इसके पुनः उपयोग के लिए कंपनी ने क्रोण्टा प्लाट और प्रेशराइज्ड डिश फिल्टर प्लांट भी लगाए है। हमारा संदेह है कि जो पानी नाले में छोड़ा गया है, वह किसी ने जानबूझकर छोड़ा है। इस संबंध में कंपनी कड़ी कार्रवाई करेगी। और आगे भी उचित उपाय किए जाएंगे,
-वी। एस। द्विवेदी, जनरल मैनेजर, गंगा पेपर मिल
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सरपंच तेजल घारे ने कंपनी को अंतिम चेतावनी देते हुए मांग की है कि वह आगे से नाले में एक बूंद भी दूषित पानी न छोड़े। उन्होंने साफ कर दिया है कि अगर कंपनी का यही अडियल और गैर-जिम्मेदाराना रवैया जारी रहा, तो बेबडओहल ग्राम पंचायत और आस-पास के सभी ग्रामीण मिलकर कंपनी के खिलाफ आंदोलन करेंगे। यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक कंपनी दूषित पानी छोड़ने की प्रक्रिया को पूरी तरह से बंद नहीं कर देती और प्रदूषण नियंत्रण नियमों का पालन नहीं करती।






