बारिश में शवों का अंतिम संस्कार (pic credit; social media)
Nashik Funeral Home: नासिक छावनी परिषद वार्ड 7 के शिंगवे बहुला स्थित श्मशान घाट पिछले 25 सालों से छत के बिना है, जिससे अंतिम संस्कार करने वाले स्थानीय नागरिकों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। बारिश के मौसम में शवों को दाह संस्कार के लिए चिता पर छतरी के सहारे रखना पड़ता है, जिससे प्रक्रिया धीमी और जटिल हो जाती है।
स्थानीय लोगों ने कई बार प्रशासन से शिकायतें कीं, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। शिवसेना के प्रमोद मोजद का कहना है कि उन्होंने तीन वर्षों से राज्य सरकार और छावनी परिषद प्रशासन से लगातार संपर्क किया, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ।
स्थानीय नागरिक तुकाराम गोपाल पालदे के निधन के दौरान भी बारिश के कारण लकड़ियाँ भीग गईं और अंतिम संस्कार में अत्यधिक परेशानी हुई। लोगों का कहना है कि यहां केवल रोड का ढांचा है और बरसात में शवों के साथ उपेक्षा होती है।
स्थानीय निवासी जोर देकर कहते हैं कि श्मशान घाट में छत और बैठने की उचित व्यवस्था होनी चाहिए ताकि अंतिम संस्कार पूरी गंभीरता और सम्मान के साथ किया जा सके। उन्होंने प्रशासन से तत्काल मरम्मत और सुविधाओं के लिए प्रस्ताव प्रस्तुत करने की मांग की है।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि बरसात के समय उन्हें घंटों इंतजार करना पड़ता है और अंतिम संस्कार की प्रक्रिया धीमी हो जाती है। इस वजह से लोग बार-बार शिकायत करते हैं, लेकिन प्रशासनिक उपेक्षा के कारण समस्या जस की तस बनी हुई है।
विशेषज्ञ और स्थानीय नेता इस मामले को गंभीर मानते हैं और कहते हैं कि यह सिर्फ श्मशान घाट की समस्या नहीं, बल्कि प्रशासनिक उपेक्षा का प्रतीक है। लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि श्मशान घाट पर शीघ्र ही छत का निर्माण किया जाए और अंतिम संस्कार के लिए सभी आवश्यक सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाएं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह मामला सामाजिक और मानवीय दृष्टि से भी संवेदनशील है और इसे जल्द से जल्द हल किया जाना चाहिए। इसके साथ ही, छावनी परिषद को नियमित निरीक्षण और मरम्मत सुनिश्चित करनी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी परेशानियाँ दोबारा न हों।