आदिवासी समाज के लिए शमशान घाट नहीं (pic credit; social media)
Maharashtra News: शहापुर तालुका के उंबरमाली में कातकरी आदिवासी समाज के लोगों के लिए मृतकों का अंतिम संस्कार आज भी बेहद चुनौतीपूर्ण कार्य बन गया है। गांव में न तो पर्याप्त श्मशान घाट हैं और न ही श्मशान तक पहुँचने के लिए कोई सड़क है। इसके कारण परिवारों को मृतक को कंधों पर उठाकर दाह संस्कार स्थल तक ले जाना पड़ता है, जिससे मानसून में स्थिति और भी गंभीर हो जाती है।
उंबरमाली परिसर में केवल एक श्मशान मौजूद है, लेकिन वहां भी कोई विशेष व्यवस्था नहीं है। ग्रामीणों को अक्सर खुले स्थान पर ही अंतिम संस्कार करना पड़ता है। इस कठिनाई के कारण परिवारों की पीड़ा बढ़ जाती है और अंतिम संस्कार का सामाजिक और धार्मिक महत्व भी प्रभावित होता है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकार और प्रशासन द्वारा चलाई जा रही कई योजनाओं का वास्तविक लाभ आदिवासी समुदाय तक नहीं पहुँच पा रहा है। कातकरी समुदाय शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और आवास जैसी बुनियादी जरूरतों से वंचित है।
ग्रामीणों ने प्रशासन से अपील की है कि उंबरमाली में श्मशान घाट और सड़क की उचित सुविधा उपलब्ध कराई जाए, ताकि मृतकों के अंतिम संस्कार में किसी प्रकार की कठिनाई न हो। उन्होंने कहा कि यह केवल एक सुविधा नहीं बल्कि मानव धर्म और सामाजिक जिम्मेदारी का मामला है।
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आदिवासी समुदाय के लोग वर्षों से अपने मूलभूत अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इस गाँव की स्थिति यह सवाल फिर से उठाती है कि आदिवासी समाज को कितने वर्षों तक अपने बुनियादी अधिकारों के लिए संघर्ष करना होगा।
स्थानीय निवासियों ने प्रशासन से आग्रह किया है कि योजना और कार्य तत्काल प्रभाव से लागू किए जाएँ, ताकि आने वाले समय में किसी भी परिवार को अंतिम संस्कार के दौरान कठिनाइयों का सामना न करना पड़े। उंबरमाली में श्मशान और सड़क की कमी न केवल सामाजिक समस्या है, बल्कि क्षेत्रीय विकास के दृष्टिकोण से भी इसे प्राथमिकता देनी होगी।