
नाशिक की 753 एकड़ की ग्रीन फील्ड योजना निरस्त, किसानों को मिली राहत
Nashik News: स्मार्ट सिटी अभियान के तहत मखमलाबाद और नाशिक शिवार (ग्रामीण क्षेत्र) में 753 एकड़ क्षेत्र में प्रस्तावित ‘टीपी स्कीम’ यानी हरित क्षेत्र विकास परियोजना निर्धारित समय सीमा में पूरी न होने के कारण व्यपगत हो गई है। इस योजना की अवधि समाप्त होने के कारण, इसे रद्द करने की मांग के लिए विधायक प्रो. देवयानी फरांदे ने लगातार सरकार से संपर्क रखा। अंततः, सरकार के नगर विकास विभाग ने सहायक निदेशक नगर रचना को न्यायालय को योजना रद्द करने के बारे में सूचित करने हेतु पत्र जारी कर दिया है।
मखमलाबाद और हनुमानवाड़ी शिवार में 753 एकड़ भूमि पर नाशिक स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट कार्पोरेशन लिमिटेड कंपनी द्वारा 2019 में हरित क्षेत्र विकास योजना प्रस्तावित की गई थी। इस योजना का प्रस्तावित क्षेत्र के 100 प्रतिशत किसानों ने विरोध किया था। महाराष्ट्र नगर रचना अधिनियम 1966 की धारा 87 के तहत, सरकार द्वारा ऐसी प्रारूप योजना को वापस लेने का प्रावधान है। इस कानून के अनुसार, नगर रचना योजना तैयार करने से लेकर उसकी मंजूरी तक की समय सीमा निर्धारित की गई है।
तदनुसार, धारा 60 के अनुसार, प्रारूप नगर रचना योजना तैयार करने का इरादा 9 सितंबर 2019 को घोषित किया गया था। 21 महीने की अवधि के भीतर, यानी 8 जून 2021 तक, प्रारूप योजना के प्रस्ताव पर सरकार स्तर तक निर्णय लेना अनिवार्य था। हालाँकि, समय बीत जाने के बाद भी प्रारूप योजना का प्रस्ताव सरकार स्तर पर लंबित रहा। इसलिए, इस योजना को रद्द करने के संबंध में विधायक प्रो. देवयानी फरांदे ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात करके फॉलोअप किया। नगर विकास सचिव के साथ भी एक बैठक आयोजित की गई थी।
इसके बाद महासभा ने 20 नवंबर 2020 को योजना को वापस लेने की सिफारिश करने वाला प्रस्ताव पारित किया था। केंद्र सरकार ने स्मार्ट सिटी कंपनी को सूचित किया था कि 1 अप्रैल 2022 के बाद किसी भी नए कार्य का कार्यारंभ आदेश जारी न किया जाए। ऐसी परिस्थितियों में प्रस्तावित हरित क्षेत्र विकास योजना को लागू करना संभव नहीं है। इसलिए मनपा ने 14 दिसंबर 2020 को सरकार को पत्र भेजकर सूचित किया था कि इस योजना को लागू नहीं किया जा सकता है। नगर परियोजना को लागू करते समय 45 प्रतिशत क्षेत्र स्मार्ट सिटी कंपनी के लिए और 55 प्रतिशत क्षेत्र किसानों के लिए, यानी 45-55 का फॉर्मूला निश्चित किया गया था। इस संबंध में उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका भी दायर की गई थी। सरकार के नगर विकास विभाग ने अब सहायक निदेशक को न्यायालय में प्रस्तुत करने के लिए अनुरोध पत्र दिया है। सोमवार 24 नवंबर को पत्र जमा होने के बाद नगर परियोजना रद्द होने की प्रक्रिया में तेजी आएगी।
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शुरुआत में योजना 315 एकड़ क्षेत्र में प्रस्तावित थी, लेकिन ‘गैर-विकास’ क्षेत्र में 760 एकड़ सिंचित क्षेत्र को भी शामिल कर लिया गया। 2017 के संशोधित शहर विकास योजना में इस क्षेत्र को विकास विभाग में दर्शाए जाने के कारण किसानों ने विरोध किया। किसानों ने आरोप लगाया कि शर्तों और नियमों को पूरा किए बिना ही प्रारूप योजना तैयार की गई थी। सरकार ने 2020 में एकीकृत विकास नियमावली को मंजूरी दी।






