
विपक्ष नेता के बिना लोकतंत्र अधूरा (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Maharashtra Political Controversy: महाराष्ट्र में विरोधी पक्ष के नेता की नियुक्ति न होने को लेकर शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने गुरुवार को एक बार फिर सरकार पर निशाना साधा। प्रेस कॉन्फ्रेंस में ठाकरे ने कहा कि विरोधी दल के नेता (एलओपी) के बिना लोकतंत्र अधूरा है और एलओपी की नियुक्ति में बाधा डालना लोकतंत्र की हत्या के समान है।
उद्धव ने यह भी सवाल उठाया कि अगर संख्याबल का नियम विपक्ष नेता के पद पर लागू होता है, तो यही नियम उपमुख्यमंत्री पद पर भी क्यों लागू नहीं होता। उन्होंने कहा, “दो-दो उपमुख्यमंत्री बना दिए हैं, कल 40 भी बना देंगे। जब उपमुख्यमंत्री संवैधानिक पद नहीं है, फिर भी वह मौजूद है, तो विपक्ष के नेता की नियुक्ति क्यों नहीं हो रही?”
दिल्ली का उदाहरण देते हुए ठाकरे ने कहा, “दिल्ली में 70 में से केवल 3 सदस्य होने के बावजूद भाजपा ने विपक्ष नेता को मान्यता दी थी, तो फिर महाराष्ट्र में क्यों नहीं?”
उन्होंने कहा कि विपक्ष नेता का पद लोकतंत्र के संतुलन के लिए बेहद महत्वपूर्ण है और इसे तुरंत भरा जाना चाहिए। ठाकरे ने स्पष्ट कहा, “विपक्ष नेता का नाम विपक्ष तय करेगा, सत्ता पक्ष नहीं। जैसे कोई यह तय नहीं कर सकता कि मुझे क्या भाषण देना है।”
ठाकरे ने गुरुवार को विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर और विधान परिषद के सभापति राम शिंदे से मुलाकात कर दोनों सदनों में विपक्ष नेता की नियुक्ति की मांग का ज्ञापन सौंपा। उन्होंने स्पष्ट किया कि महाविकास आघाड़ी ने विधानसभा में विपक्ष नेता पद के लिए यूबीटी विधायक भास्कर जाधव और विधान परिषद के लिए कांग्रेस विधायक सतेज पाटील का नाम प्रस्तावित किया है।
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ठाकरे ने बताया कि अध्यक्ष और सभापति ने कहा है कि वे भी इस मुद्दे पर विचार कर रहे हैं और जल्द निर्णय लेंगे। ठाकरे ने याद दिलाया कि पिछले सत्र में भी यही आश्वासन दिया गया था, लेकिन अब तक निर्णय नहीं हुआ है।






