
एलओपी का लॉलीपॉप, सरकार ने लगाया झगड़ा (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Nagpur Winter Session: राज्य विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के दौरान सत्तारूढ़ महायुति ने पूरे विपक्ष को नेता प्रतिपक्ष (एलओपी) पद की बहस में उलझाकर संभावित हमले की धार को कुंद कर दिया है। शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) ने अपने विधायक भास्कर जाधव को विधानसभा में एलओपी बनाए जाने का प्रस्ताव दिया है, जबकि कांग्रेस ने विधान परिषद में सतेज (बंटी) पाटिल के नाम की अनुशंसा की है।
सूत्रों के अनुसार, भाजपा ने महाविकास आघाड़ी (मविआ) के कुछ नेताओं से अनौपचारिक संपर्क कर कांग्रेस के विजय वडेट्टीवार को विधानसभा तथा यूबीटी के अनिल परब को परिषद में एलओपी बनाने के लिए सहयोग की पेशकश की है।
यूबीटी में भास्कर जाधव लंबे समय से असंतुष्ट हैं। उनका कहना है कि उन्हें उनकी निष्ठा के अनुरूप जिम्मेदारी नहीं मिली। इसी को संबोधित करते हुए उद्धव ठाकरे ने मार्च 2025 के बजट सत्र में जाधव को विधानसभा में एलओपी घोषित करने की बात कही थी। मविआ ने विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को पत्र भी सौंपा है, लेकिन महायुति ने 10 प्रतिशत संख्या बल के कथित नियम का हवाला देकर मंजूरी रोक रखी है।
दूसरी ओर, वडेट्टीवार भी एलओपी पद के प्रबल इच्छुक हैं। वहीं कांग्रेस ने परिषद में सतेज पाटिल को नेता प्रतिपक्ष बनाने की मांग सभापति प्रो. राम शिंदे से की है। भाजपा की यह “गुगली” मविआ में फूट बढ़ाने की कोशिश के तौर पर देखी जा रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि वडेट्टीवार विधानसभा में एलओपी बने तो यूबीटी में जाधव और कांग्रेस में सतेज पाटिल की नाराजगी बढ़ सकती है। यह भी चर्चा है कि वडेट्टीवार के भाजपा नेताओं से अच्छे संबंध माने जाते हैं, जिसके चलते संदेह और गहरा सकता है।
माना जा रहा है कि भाजपा का यह प्रस्ताव शिंदे गुट की वजह से है। उनका अनुमान है कि यदि आक्रामक तेवर वाले जाधव विपक्ष के नेता बने, तो उनका मुख्य निशाना उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनकी पार्टी के मंत्री होंगे। वहीं वडेट्टीवार के मामले में आलोचना का दायरा महायुति के तीनों घटकों में विभाजित हो जाएगा।
ये भी पढ़े: शराब विक्रेताओं पर कड़ी कार्रवाई के निर्देश, तहसीलदार गणेश माली ने दिखाई सख्ती
कांग्रेस अपने पहले दिए गए प्रस्ताव पर कायम है। एक वरिष्ठ मविआ नेता ने दावा किया। “हम भास्कर जाधव और सतेज पाटिल के नाम पर एकजुट हैं। भाजपा की फूट डालने की कोशिश सफल नहीं होगी।” बीते दो दिनों में कांग्रेस के नेता विधान परिषद के सभापति प्रो. राम शिंदे से दो बार मिल चुके हैं और अपनी मांग दोहरा चुके हैं।






