सुप्रिया सुले (सौजन्य-एक्स)
नागपुर: आरएसएस द्वारा संविधान से ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द हटाने की मांग पर हंगामा शुरू है। इस पर शरद पवार गुट की सांसद सुप्रिया सुले ने भी अपना विरोध दर्शाया है। शरद पवार गुट की सांसद सुप्रिया सुले नागपुर दौरे पर है। अपने नागपुर दौरे के दौरान संवाददाताओं से बातचीत में उन्होंने इस मामले का विरोध किया।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले द्वारा संविधान की प्रस्तावना से ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द हटाने की मांग पर एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने कहा, “संविधान में जो लिखा है, उसे सभी से सलाह-मशविरा करने और चर्चा करने के बाद शामिल किया गया है।”
सुप्रिया सुले ने सरकार को लोकसभा का भाषण याद दिलाते हुए आगे कहा, “अब यह सरकार संविधान बदलने की बात कर रही है, हम यह कहते रहे हैं और उनका नारा है ‘अबकी बार 400 पार, बदलेंगे संविधान’। यही बात भाजपा के 2 सांसद लोकसभा में कह रहे थे। हम इस देश में किसी को भी संविधान बदलने की इजाजत नहीं देंगे।”
Nagpur, Maharashtra: NCP MP Supriya Sule on Rashtriya Swayamsevak Sangh (RSS) general secretary Dattatreya Hosabale seeking removal of ‘socialist’ and ‘secular’ from Constitution’s Preamble says, “What is written in the Constitution has been included after consulting everyone and… pic.twitter.com/37oXkZFBY9
— IANS (@ians_india) June 28, 2025
यह घटनाक्रम तब हुआ जब होसबोले ने गुरुवार को डॉ अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भारतीय संविधान की प्रस्तावना में “समाजवादी” और “धर्मनिरपेक्ष” शब्दों को शामिल करने की वैधता पर सवाल उठाया, जिसे इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (संस्कृति मंत्रालय के तहत) और अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर ने संयुक्त रूप से आयोजित किया गया था।
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उन्होंने टिप्पणी की कि आपातकाल के दौरान, “समाजवाद” और “धर्मनिरपेक्ष” जैसे शब्दों को जबरन संविधान में डाला गया था – एक ऐसा कदम जिस पर आज पुनर्विचार करने की आवश्यकता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि आपातकाल केवल सत्ता का दुरुपयोग नहीं था बल्कि नागरिक स्वतंत्रता को कुचलने का प्रयास था। लाखों लोगों को जेल में डाला गया और प्रेस की स्वतंत्रता को दबा दिया गया।
उन्होंने कहा कि जिन्होंने आपातकाल लगाया और संविधान और लोकतंत्र को रौंदा, उन्होंने कभी माफी नहीं मांगी। अगर वे व्यक्तिगत रूप से माफी नहीं मांग सकते, तो उन्हें ऐसा करना चाहिए अपने पूर्वजों की ओर से।
(एजेंसी इनपुट के साथ)