
श्वेता म्हाले (डिजाइन फोटो)
Sarangwadi Project Scam: महाराष्ट्र विधानसभा में बुलढाणा जिले के चिखली तहसील स्थित सारंगवाड़ी संग्रह तलाव परियोजना में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और प्र शासनिक का अनियमितताओं मुद्दा उठाया गया है। विधायक श्वेता महाले ने सदन में यह मामला उठाते हुए आरोप लगाया कि ठेकेदार और प्रशासनिक अधिकारी मिलीभगत से भ्रष्टाचार कर रहे हैं।
यह परियोजना मूल रूप से 2009 में महाराष्ट्र के मृदा एवं जल संरक्षण विभाग द्वारा 16 करोड़ 61 लाख रुपये की प्रशासनिक मंजूरी के साथ स्वीकृत की गई थी। हालांकि, समय के साथ इसकी लागत में अत्यधिक वृद्धि होती चली गई। इस तरह, परियोजना की लागत में मूल अनुमान के मुकाबले 16 गुना तक की वृद्धि हो चुकी है।
मंत्री महोदय ने कीमत वृद्धि का कारण जीएसटी (28 करोड़ रुपये), भूमि अधिग्रहण (25 करोड़ रुपये), वन विभाग की 24 हेक्टेयर भूमि से संबंधित समस्या, रॉयल्टी भुगतान और डिजाइन में बदलावों को बताया है।
विधायक श्वेता महाले ने तत्कालीन एमडी सुनील कुशिरे पर भ्रष्टाचार के गंभीर व्यक्तिगत आरोप लगाए। उन्होंने बताया कि वॉटरफ्रंट कंपनी के नाम पर 2022 में पुणे के शोरूम से कुशिरे को एक मर्सिडीज बेंज कार गिफ्ट की गई। तीन साल बाद, 2024 में, यह गाड़ी सुनील कुशिरे के भाई दिलीप कुशिरे के नाम पर पंजीकृत कर दी गई। इस संबंध में उनके पास वीडियो और रजिस्ट्री के सभी सबूत होने का दावा किया गया।
अन्य अनियमितताओं में, आरोप है कि 2.38 करोड़ रुपये का भुगतान बिना काम किए ही निकाल लिया गया साथ ही, परियोजना की लागत बढ़ाने के लिए कागजी तौर पर मिट्टी और मुरूम लाने की दूरी 17 और 20 किलोमीटर तक बढ़ा दी गई, जबकि उत्खनन की गई सामग्री का ही उपयोग किया गया था।
यह भी सामने आया है कि इस कंपनी को महाराष्ट्र में अन्य परियोजनाएं भी दी गई हैं, जिसमें रत्नागिरी में लगभग 6,700 करोड़ रुपये का लांजा प्रोजेक्ट शामिल है। मामले की गंभीरता को देखते हुए, सदस्य ने दोषी अधिकारियों पर तत्काल निलंबन की कार्रवाई करने तथा आर्थिक और राजनीतिक हितसंबंधों की जांच करने की मांग की थी।
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सदन में मृदा एवं जलसंधारण मंत्री संजय राठोड़ ने आश्वासन दिया कि अगर मंजूरी देने या अनुमान लगाने में कोई अनियमितता हुई है, तो इस पूरे मामले की (SIT) गठित कर जांच करने का निर्देश दिया है। यह जांच तीन महीने के भीतर पूरी की जाएगी। मंत्री महोदय ने कहा कि जांच में दोषी पाए जाने वालों को निलंबित करने के साथ-साथ कठोर कार्रवाई की जाएगी। वर्तमान में, परियोजना का 90% काम पूरा हो चुका है।
परियोजना का ठेका लेने वाली पुणे की कंपनी ‘वॉटर फ्रंट प्राइवेट लिमिटेड’ पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। कंपनी ने निविदा प्राप्त करते समय कथित तौर पर झूठे और दिशाभूल करने वाले कागजात प्रस्तुत किए थे। इस कंपनी के खिलाफ वैभववाडी, चतुर्थंगी और गंगाखेड जैसे विभिन्न स्थानों पर गंभीर मामले दर्ज हैं।
लोकायुक्त ने पहले ही कंपनी को ब्लैकलिस्ट करने और फौजदारी (आपराधिक) मामले दर्ज करने का निर्देश दिया था। इसके बावजूद, महाराष्ट्र जलसंधारण महामंडल के तत्कालीन एमडी सुनील कुशिरे ने संभाजीनगर उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद, 2021 में केवल एक शपथ पत्र के आधार पर इस विवादित कंपनी का अवैध रूप से पंजीकरण करा दिया।






