
मुंबई हाईकोर्ट (फोटो- सोशल मीडिया)
Shani Devsthan Trust Hindi News: छत्रपति संभाजीनगर अहमदनगर जिले के प्रसिद्ध शनि शिंगणापुर मंदिर ट्रस्ट के प्रबंधन को लेकर चल रहे कानूनी विवाद में बड़ा फैसला आया है। मुंबई उच्च न्यायालय की औरंगाबाद खंडपीठ की न्यायमूर्ति विभा कंकणवाड़ी और न्यायमूर्ति हितेन वेणेगावकर ने राज्य सरकार द्वारा जारी प्रशासक नियुक्ति संबंधी आदेश रद्द कर दिया है। ट्रस्ट के पूर्व विश्वस्त भागवत बनकर और अन्य की याचिका आंशिक रूप से मंजूर की गई।
शनि शिंगणापुर देवस्थान ट्रस्ट पर शनि देवस्थान न्यास अधिनियम 2018 के तहत नियंत्रण लागू करने के लिए कानून को 22 सितंबर 2025 से लागू किया गया था। इसके बाद राज्य सरकार ने वर्तमान विश्वस्त मंडल को भंग कर अहमदनगर के जिलाधिकारी को ट्रस्ट का प्रशासक नियुक्त किया था। इस निर्णय को चुनौती देते हुए विश्वस्तों ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। पहली सुनवाई में 4 अक्टूबर को अदालत ने दोनों पक्षों को सुनकर जैसे थे स्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था।
खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि डीएम को प्रशासक नियुक्त करना नियमों के विरुद्ध है। अदालत ने सरकार का आदेश रद्द करते हुए कहा कि प्रशासकीय समिति का गठन भी नियम बाह्य है। प्रशासक नियुक्ति से पहले की जैसे थे स्थिति बहाल की जाए।
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जिलाधिकारी और उनकी समिति सात दिनों के भीतर मंदिर की चल-अचल संपत्ति पूर्व प्रबंधन समिति को सौंपें सरकार अधिनियम 2018 के अनुसार उचित नियमावली तैयार करे। तब तक पूर्व प्रबंधन समिति आर्थिक और प्रशासनिक कार्य देखेगी। याचिकाकर्ताओं की ओर से एड। सतीश तलेकर व अजिंक्य काले ने पैरवी की। सरकार की ओर से एड। अतुल काले उपस्थित थे।
याचिकाकर्ताओं की ओर से एड। सतीश तलेकर ने कहा कि न्यास अधिनियम 2018 की धाराओं 5 और 36 में कहीं भी प्रशासक नियुक्त करने का प्रावधान नहीं है। कानून के अनुसार ट्रस्ट के लिए प्रबंधन समिति गठित करना अनिवार्य है। बिना कानूनी आधार प्रशासक नियुक्त करना अधिकार का दुरुपयोग है। यह भी बताया गया कि प्रशासकीय समिति राजनीतिक दबाव में मनमानी कर रही थी।






