
हाई कोर्ट (फाइल फोटो)
Cremation Ground Shortage: नागपुर जिले के लगभग 204 गांवों में अभी भी श्मशान भूमि की मूलभूत सुविधा नहीं है। इस गंभीर मुद्दे को लेकर छपी खबरों पर हाई कोर्ट की ओर से स्वयं संज्ञान लिया गया। जनहित याचिका के रूप में स्वीकार किए जाने के बाद हाई कोर्ट ने अधिवक्ता यश व्यंकटरमण को न्यायालय मित्र के रूप में नियुक्त किया।
विशेषत: कोर्ट ने पहले राज्य सरकार को इस मामले में उत्तर दाखिल करने के लिए 10 सप्ताह का समय दिया था परंतु बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान, राज्य सरकार के वकील ने लिखित उत्तर देने की बजाय मौखिक जानकारी देने का प्रयास किया। इस पर हाई कोर्ट ने सरकार को सोमवार तक लिखित हलफनामा प्रस्तुत करने का आदेश देते हुए सुनवाई स्थगित कर दी।
अधिवक्ता व्यंकटरमण ने न्यायालय को बताया कि जिले के 13 तहसीलों के 204 गांवों में आज भी श्मशान भूमि की सुविधा उपलब्ध नहीं है। 174 गांवों में श्मशान भूमि के लिए जगह आरक्षित होने के बावजूद मृत व्यक्तियों का अंतिम संस्कार खुले में, नदी के किनारे या बंजर भूमि पर किया जाता है। इस स्थिति के कारण ग्रामीणों को शोक के समय भी अपमानजनक परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है।
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याचिका में बताया गया कि कुछ गांवों में श्मशान भूमि के लिए जगह ही उपलब्ध नहीं है, जबकि कुछ स्थानों पर आरक्षित जमीन विवादित है। इस वजह से श्मशान भूमि के निर्माण के लिए स्थायी उपाययोजना नहीं की जा सकी हैं। ग्राम पंचायतों द्वारा बार-बार मांग किए जाने पर भी संबंधित विभागों से कोई ठोस समाधान नहीं निकला है।
खुले में दाह संस्कार और शव अधूरा जलने की प्रक्रिया के कारण आसपास के क्षेत्रों में दुर्गंध, प्रदूषण और संक्रामक बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। कई जगहों पर अंतिम संस्कार निजी जमीन या खेत की जमीन पर करने के कारण मालिकाना हकों को लेकर विवाद पैदा होते हैं। कुछ गांवों में लोगों को अंतिम संस्कार के लिए पड़ोस के गांव की श्मशान भूमि पर जाना पड़ता है।






