
बाघनख (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Archaeology Department: छत्रपति शिवाजी महाराज का ऐतिहासिक बाघनख (बाघ के पंजे के आकार का हथियार) नागपुर के केंद्रीय संग्रहालय में प्रदर्शित किया गया है। बाघनख को रखने के लिए केंद्रीय संग्रहालय के सभागार को प्रकाश व्यवस्था के साथ-साथ ऐतिहासिक वस्तुओं के संरक्षण के लिए आवश्यक सुविधाओं से तैयार किया गया था।
इस काम को कम समय में पूरा करने की चुनौती को राज्य के पुरातत्व वस्तु संग्रहालय निदेशालय, केंद्रीय संग्रहालय के अधिकारियों, जिला प्रशासन के साथ-साथ ठेकेदार ने भी पूरा कर लिया, इसलिए बाघनख का प्रदर्शन सफल रहा। अब बाघनख के प्रदर्शन के पीछे कार्यरत ठेकेदार को सरकार ने प्रशंसा पत्र देकर तो खूब सराहा लेकिन उसकी तरफ से अभी तक एक पैसा भी जारी नहीं किया गया है जिससे ठेकेदार आर्थिक संकट में फंस गया है।
नागपुरवासियों को शिवकालीन ऐतिहासिक बाघनख देखने को मिला जिसके लिए राज्य सरकार की प्रशंसा हो रही है। इस बीच केंद्रीय संग्रहालय का रूप बदलने के लिए पुरातत्व वस्तु संग्रहालय निदेशालय ने कम समय में निविदा जारी की थी। ठेकेदार ने इस सभागार में एसी, प्रकाश व्यवस्था, ऐतिहासिक तलवार, ढाल आदि रखने के लिए कांच के स्टैंड और ध्वनिरोधक (साउंड प्रूफ) सहित सभी आवश्यक सुविधाएं प्रदान कीं।
7 फरवरी को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के हाथों बाघनख प्रदर्शनी का शानदार उद्घाटन किया गया था। इसके बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने भी आम नागपुरवासियों के लिए इसकी सराहना की। 7 महीने तक नागपुर में रहने के बाद अब बाघनख को कोल्हापुर भेज दिया गया है।
नागपुर की तरह कोल्हापुर में भी ठेकेदार ने सुविधाएं प्रदान की थीं। हालांकि कोल्हापुर के ठेकेदार के बिलों का भुगतान कर दिया गया है। नागपुर में काम करने वाले ठेकेदार के साढ़े 6 करोड़ रुपये के बिल अभी भी मुंबई स्थित पुरातत्व वस्तु संग्रहालय निदेशालय के पास अटके हुए हैं।
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केंद्रीय संग्रहालय के अधिकारियों ने काम पूरा होते ही, यानी मार्च 2025 में ही ये बिल भेज दिए थे। इतना ही नहीं, केंद्रीय संग्रहालय के अधिकारियों ने भी बिलों को जारी करवाने के लिए फॉलोअप किया लेकिन अभी तक भुगतान नहीं हो सका है।
केंद्रीय संग्रहालय के सभागार के काम के बिल सरकार को प्रस्तुत किए गए हैं। इस संबंध में सरकारी स्तर पर कार्यवाही चल रही है।






