नागपुर न्यूज
Cess Collection: MIDC में मेट्रो के नाम पर सेस की वसूली की जा रही है। इसके बाद भी पिछले 3 वर्षों से बोझ बढ़ाकर वसूली की जा रही है। सेस के कारण नये उद्योग और विस्तार करने वालों पर अतिरिक्त बोझ ही बढ़ा दिया गया है। वैसे तो सरकार कहती है कि मेट्रो के लिए कर्ज लिया जा रहा है लेकिन दूसरी ओर अतिरिक्त राशि लोगों से भी वसूल की जा रही है जो करोड़ों रुपये में है।
बूटीबोरी एमआईडीसी बने हुए 30 वर्ष से अधिक का समय हो गया, अब तक मेट्रो नहीं पहुंची है। अब जाकर पहल की गई है लेकिन वसूली काफी पहले से शुरू है। जानकारों ने बताया कि 1 अप्रैल 2022 से पूरे राज्य में मेट्रो सेस के नाम से वसूली शुरू की गई। बाद में सरकार ने इसका नाम बदल दिया। वर्तमान में डेडीकेटेड अर्बन ट्रांसपोर्ट फंड के नाम से प्रति वर्ग मीटर 99 रुपये का सेस लगाया गया है। यह आने वाली नई इकाइयों या वर्तमान में विस्तार करने वाले उद्यमियों को देना होगा।
इसमें फीडर सेवा उपलब्ध कराने का भी उल्लेख किया गया है लेकिन अफसोस यह है कि अब तक बूटीबोरी में फीडर बस सेवा भी शुरू नहीं की जा सकी है। सभी कंपनियों को अपनी-अपनी बस सेवा लेनी पड़ती है जिस पर करोड़ों रुपये खर्च बढ़ जाते हैं। उसके बाद यह अतिरिक्त शुल्क जीना मुश्किल करने वाला बन गया है।
उद्यमियों का कहना है कि मेट्रो ने खापरी से बूटीबोरी तक कुछ समय के लिए फीडर बस सेवा शुरू करने की पहल की थी लेकिन अब यह सेवा बंद हो गई है। मनपा कुछ बसें चला रही है लेकिन यह सेवा इतनी सीमित है कि 1 फीसदी लोगों को भी लाभ नहीं मिलता है। यही कारण है कि लोगों को कर्मचारियों को लाने-ले जाने के लिए अपनी बस सेवा लेनी पड़ती है। इस पर हर कंपनी महीने में लाखों रुपये खर्च कर रही है।
बीएमए के पूर्व अध्यक्ष प्रदीप खंडेलवाल ने कई मंचों पर मांग की है कि सीएमपी प्लान में अभी से ही मेट्रो का विस्तार अतिरिक्त बूटीबोरी तक करने का प्रस्ताव होना चाहिए। अगर अभी पहल होती है तभी इसका लाभ मिल सकता है और कर्मचारियों और उद्यमियों को लाभ मिल सकता है। वर्तमान बूटीबोरी में मेट्रो का ‘आगमन’ काफी लेट हो चुका है।
जो काम 15-20 वर्ष पूर्व हो जाना चाहिए था उस पर अब जाकर निर्णय हुआ है। अतिरिक्त बूटीबोरी के साथ ऐसा नहीं होना चाहिए। खंडेलवाल कहते हैं कि मुंबई में आयोजित मुख्य सचिव की बैठक में भी इस मुद्दे को उठाया गया है। इसके अलावा भी कई मंचों पर अभी से प्लानिंग करने की मांग की गई है।
बीएमए के सचिव शशिन अग्रवाल कहते हैं कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के प्रयासों से अतिरिक्त बूटीबोरी में कई बड़े प्रोजेक्ट्स जैसे अवाडा, जेएसडब्ल्यू, पर्नाड, सोहम आ रहे हैं। इनमें हजारों लोगों को रोजगार मिलना तय है। ऐेसे में सवाल यह उठता है कि ये कर्मचारी आएंगे या जाएंगे कैसे।
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अतिरिक्त बूटीबोरी नागपुर से 45 किलोमीटर से भी दूर है, इसलिए ऐेसा लगता है कि मेट्रो का विस्तार केईसी तक किया जा रहा है, उसे बढ़ाकर अतिरिक्त बूटीबोरी तक किया जा सकता है। अगर अभी से प्लानिंग होती है तो निश्चित रूप से कंपनियों के कर्मचारियों को आरंभ से ही मेट्रो परिवहन का बेहतर विकल्प मिल सकता है। इससे मार्ग में भीड़-भाड़ कम करने में भी मदद मिलेगी।
खंडेलवाल कहते हैं कि अतिरिक्त बूटीबोरी वाले भी करोड़ों में सेस का भुगतान कर रहे हैं और वे दूर भी हैं। ऐेसे में मेट्रो विस्तार उसका हक भी है। समय पर मेट्रो पहुंच जाती है तो वहां के उद्योग और कर्मचारियों के साथ भी न्याय होगा और उन्हें सेस देने में ‘तकलीफ’ भी नहीं होगी। अगर प्रशासन फीडर सेवा के बारे में सोच रहा है तो यह कारगर नहीं हो सकता, इसलिए केईसी केंद्र से बढ़ाकर इसे अतिरिक्त बूटीबोरी तक ले जाना समय की मांग है।