
AI Deepfake के जरिए भारत के खिलाफ दुष्प्रचार फैला रहा (सोर्स-सोशल मीडिया)
Pakistani Network Using AI To Spark Communal Tensions In India: पाकिस्तानी सोशल मीडिया नेटवर्क द्वारा भारत विरोधी नैरेटिव फैलाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और डीपफेक तकनीक का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग किया जा रहा है।
एक ताजा मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान की सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े अकाउंट्स योजनाबद्ध तरीके से फर्जी वीडियो और तस्वीरें साझा कर रहे हैं। इस संगठित ‘डिसइन्फॉर्मेशन कैंपेन’ का मुख्य उद्देश्य भारत में सांप्रदायिक तनाव पैदा करना और गलत सूचनाओं के जरिए क्षेत्रीय स्थिरता को प्रभावित करना है। अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने इस ट्रेंड को दक्षिण एशिया की सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा बताया है।
इस दुष्प्रचार अभियान के तहत भारत के सैन्य नेतृत्व और वरिष्ठ पत्रकारों के फर्जी वीडियो बनाए जा रहे हैं। हाल ही में एक एआई-जेनरेटेड क्लिप वायरल हुई जिसमें वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए.पी. सिंह को ‘तेजस’ फाइटर जेट की आलोचना करते हुए दिखाया गया था।
इसी तरह, पूर्व आर्मी चीफ वी.पी. मलिक का एक डीपफेक वीडियो भी फैलाया गया जिसमें उन्हें सांप्रदायिक टिप्पणी करते हुए दिखाया गया। फैक्ट-चेकर्स ने इन दोनों वीडियो को पूरी तरह फर्जी करार दिया है और इनके पीछे पाकिस्तानी नेटवर्क का हाथ बताया है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, इस फर्जीवाड़े के पीछे ‘पाक वोकल्स’ जैसे अकाउंट्स शामिल हैं, जिन्हें पाकिस्तान के सूचना एवं प्रसारण मंत्री अताउल्लाह तरार खुद फॉलो करते थे। यह इस बात की ओर इशारा करता है कि इन भ्रामक अभियानों को शीर्ष स्तर से समर्थन प्राप्त है।
इन अकाउंट्स का काम करने का तरीका भी बेहद पेशेवर है, ये तेजी से पोस्ट करते हैं और पकड़े जाने के डर से उन्हें तुरंत डिलीट भी कर देते हैं। यह कोऑर्डिनेशन किसी नौसिखिए का नहीं, बल्कि एक सुनियोजित सरकारी तंत्र की ओर इशारा करता है।
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पाकिस्तान के इस अभियान में न केवल भारतीय हस्तियों बल्कि अंतरराष्ट्रीय घटनाओं को भी तोड़-मरोड़ कर पेश किया जा रहा है। भारतीय पत्रकार पालकी शर्मा उपाध्याय का एक डीपफेक वीडियो वायरल किया गया जिसमें वे प्रधानमंत्री मोदी के कूटनीतिक दौरों पर सवाल उठाती दिख रही हैं।
इसके अलावा, इजरायल-ईरान युद्ध के दौरान भी पाकिस्तानी आउटलेट्स ने फर्जी वीडियो चलाए थे। विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान का यह व्यवहार उसके अपने सूचना तंत्र के लिए भी घातक है और इसे रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय सतर्कता की जरूरत है।






