
बांग्लादेश में हिंदुओं की हत्या पर नेपाल में भारी विरोध प्रदर्शन (सोर्स-सोशल मीडिया)
Thousands Protest In Nepal Against Minority Violence In Bangladesh: पड़ोसी देश बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के खिलाफ बढ़ती हिंसा और बेरहम हत्याओं ने अब नेपाल में आक्रोश की लहर पैदा कर दी है। नेपाल के विभिन्न शहरों में हजारों लोग सड़कों पर उतरकर इन अमानवीय वारदातों के खिलाफ अपना कड़ा विरोध दर्ज करा रहे हैं।
प्रदर्शनकारियों ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार और वहां सक्रिय इस्लामी कट्टरपंथियों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की है। नेपाल में लोगों की मांग है कि बांग्लादेशी हिंदुओं की सुरक्षा तत्काल सुनिश्चित की जाए और दोषियों को कड़ी सजा दी जाए।
बांग्लादेश में हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की मॉब लिंचिंग और अमृत मंडल की हत्या के विरोध में शुक्रवार और शनिवार को नेपाल के बीरगंज, जनकपुरधाम और गोलबाजार जैसे बड़े शहरों में विशाल प्रदर्शन किए गए। बीरगंज में प्रदर्शनकारियों ने न केवल रैलियां निकालीं, बल्कि बांग्लादेशी नेतृत्व के खिलाफ अपना गुस्सा भी जाहिर किया।
सिराहा जिले के गोलबाजार में राष्ट्रीय एकता अभियान के बैनर तले हुए प्रदर्शन में प्रदर्शनकारियों ने ईस्ट-वेस्ट हाईवे को कुछ समय के लिए जाम कर दिया, जिससे यातायात पूरी तरह ठप हो गया।
प्रदर्शनकारियों का मुख्य गुस्सा उस मानसिकता के खिलाफ है, जिसके तहत ‘ईशनिंदा’ के झूठे आरोप लगाकर हिंदुओं को निशाना बनाया जा रहा है। दीपू चंद्र दास की हत्या जिस क्रूरता से की गई, उसने नेपाल के हिंदू समाज को झकझोर कर रख दिया है।
राष्ट्रीय एकता अभियान के जिला अध्यक्ष हेमंत सिंह ने कहा कि जब तक बांग्लादेश सरकार अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की गारंटी नहीं देती, तब तक उनका यह संघर्ष और विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा। नेपाल के लोगों का मानना है कि शेख हसीना सरकार के गिरने के बाद वहां कट्टरपंथ का प्रभाव खतरनाक स्तर तक बढ़ गया है।
नेपाल में हो रहे इन प्रदर्शनों की एक खास बात यह रही कि यहां के मुस्लिम समुदाय ने भी बांग्लादेश में हिंदुओं की हत्या के खिलाफ आवाज उठाई है। जमीयत उलेमा-ए नेपाल की बारा और परसा जिला समितियों ने बीरगंज में एक रैली निकाली और दीपू चंद्र दास के हत्यारों को फांसी देने की मांग की।
मौलाना अली असगर मदनी के नेतृत्व में प्रदर्शनकारियों ने “हिंदू-मुस्लिम एकता जिंदाबाद” के नारे लगाए और बांग्लादेश में हो रहे अत्याचारों की कड़ी निंदा की। यह एकजुटता दर्शाती है कि हिंसा के खिलाफ नेपाल का हर वर्ग खड़ा है।
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चूंकि नेपाल एक हिंदू-बहुल देश है जहां 80 प्रतिशत से अधिक आबादी हिंदू है, इसलिए बांग्लादेश की घटनाओं का यहां गहरा भावनात्मक असर हो रहा है। जनकपुरधाम में महिलाओं ने भी बड़े पैमाने पर प्रदर्शन कर बांग्लादेशी हिंदुओं के मानवाधिकारों के सम्मान की मांग की।
लोगों ने मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार को विफल बताते हुए अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप की अपील की है। नेपाल सरकार पर भी यह दबाव बढ़ रहा है कि वह इस मुद्दे को कूटनीतिक स्तर पर उठाए ताकि पड़ोसी देश में अल्पसंख्यकों का दमन रोका जा सके।






