
बंदरों का आतंक (AI Generated Image)
Nagpur News: कुही शहर और आसपास के गांवों में बंदरों के बढ़ते आतंक से नागरिकों की परेशानी लगातार बढ़ती जा रही है। भोजन और पानी की तलाश में 30 से 50 बंदरों के झुंड शहर की ओर रुख कर रहे हैं। ये झुंड घरों में घुसकर तोड़फोड़ कर रहे हैं और लोगों पर हमला करने की घटनाएं सामने आ रही हैं, जिससे पूरे इलाके में भय का माहौल है। नागरिकों ने नगर परिषद प्रशासन से तत्काल बंदरों के बंदोबस्त की मांग की है।
कुही शहर तहसील मुख्यालय है और पिछले नौ वर्षों से नगर परिषद का दर्जा प्राप्त है। इसके बावजूद बंदरों की समस्या को लेकर बार-बार की जा रही शिकायतों पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई होती नहीं दिख रही। नागरिकों का सवाल है कि यदि किसी के जान-माल को नुकसान हुआ, तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा?
ग्रामीणों के अनुसार, खेतों में फसलों को नुकसान से बचाने के लिए किसानों द्वारा बंदरों को भगाए जाने के बाद ये झुंड गांव और शहर की ओर आ गए हैं। परिणामस्वरूप, आबादी वाले क्षेत्रों में बंदरों की गतिविधियां बढ़ गई हैं। बंदर घरों से खाद्य सामग्री उठा ले जाते हैं, छतों पर चढ़कर कवेलू और सीमेंट की चादरों को नुकसान पहुंचाते हैं। महिलाएं और बच्चे सबसे अधिक प्रभावित हैं।
शहर के कई हिस्सों में बंदरों के झुंड एक घर से दूसरे घर पर छलांग लगाते देखे जा रहे हैं। डिश एंटीना, सोलर पाइप, पानी की टंकियां, छतों पर रखा सामान और पौधों के गमले क्षतिग्रस्त हो रहे हैं। रात के समय कुछ घरों की छतों पर बंदरों के डेरा जमाने से छत पर जाना भी जोखिम भरा हो गया है। उन्हें भगाने का प्रयास करने पर बंदर आक्रामक हो जाते हैं, जिससे लोगों में डर बना हुआ है।
नगर परिषद को कई बार लिखित और मौखिक शिकायतें दी जा चुकी हैं, लेकिन अब तक न तो निविदा प्रक्रिया शुरू हुई है और इनका बंदोबस्त करने को लेकर कोई ठोस कदम उठाया गया है। नागरिकों की मांग है कि बंदरों को सुरक्षित तरीके से पकड़कर जंगल क्षेत्र में छोड़ा जाए।
पूर्व में मिला था समाधान सन 2012-13 में, जब ग्राम पंचायत अस्तित्व में थी। तब तत्कालीन समिति ने आम सभा में बंदरों को पकड़ने का प्रस्ताव पारित किया था। आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण प्रत्येक घर से 100 रुपये की वसूली कर सांगली-मिरज के हैदर खान को जिम्मेदारी सौंपी गई थी। उस समय करीब 700 बंदर पकड़े गए थे, जिसके बाद लगभग दस वर्षों तक कुही शहर में बंदरों की समस्या नहीं रही।
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हाल ही में नगर परिषद की मासिक बैठक में नगरसेविका वर्षा धनजोड़े ने एजेंडे पर विषय रखते हुए बंदरों को पकड़ने संबंधी प्रस्ताव पारित कराया। बावजूद इसके, आज तक नगर परिषद प्रशासन की ओर से कोई ठोस कार्रवाई या निविदा प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है। नागरिकों का सवाल है कि यदि किसी महिला, पुरुष या बच्चे पर बंदर के हमले से जान-माल की हानि होती है, तो इसकी जिम्मेदारी किसकी होगी?






