
है नीम करौली बाबा के 6 अनमोल विचार (सौ.सोशल मीडिया)
Neem Karoli Baba life lessons: भारत के महान संतों में गिने जाने वाले नीम करौली बाबा केवल एक संत नहीं, बल्कि लाखों लोगों के लिए जीवन जीने की प्रेरणा रहे हैं। उनकी शिक्षाएं आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं, जितनी उनके समय में थीं। बाबा की सबसे बड़ी सीखों में से एक आत्मनिर्भरता, परिश्रम और सेवा का भाव है, जिसे अपनाने वाला व्यक्ति जीवन में कभी मजबूर नहीं होता। जानिए नीम करौली बाबा के 6 अनमोल विचार…
नीम करौली बाबा का मानना था कि व्यक्ति को अपने जीवन में आलस्य, अहंकार और शिकायत की आदत छोड़ देनी चाहिए। वे कहते थे कि जब इंसान ईमानदारी से मेहनत करता है और अपने कर्तव्य को धर्म समझकर निभाता है, तो उसे कभी दूसरों के सामने हाथ फैलाने की जरूरत नहीं पड़ती। बाबा के अनुसार, परिश्रम केवल आजीविका का साधन नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि का माध्यम भी है।
बाबा यह भी सिखाते थे कि जरूरत से ज्यादा इच्छाएं ही इंसान को कमजोर बनाती हैं। जो व्यक्ति सीमित आवश्यकताओं में संतोष रखना सीख लेता है, वह मानसिक रूप से अधिक मजबूत और आत्मनिर्भर बनता है। नीम करौली बाबा का स्पष्ट संदेश था कि सादा जीवन और उच्च विचार अपनाने से जीवन की अधिकांश समस्याएं अपने आप दूर हो जाती हैं।
बाबा का कहना है कि, सेवा और करुणा बाबा की शिक्षाओं का अहम हिस्सा थीं। वे कहते थे कि जो व्यक्ति दूसरों की मदद करता है, उसका जीवन कभी खाली नहीं रहता। सेवा का अर्थ केवल धन देना नहीं, बल्कि समय, श्रम और सहानुभूति देना भी है। जब इंसान सेवा भाव से काम करता है, तो उसे समाज से सम्मान और आत्मसंतोष दोनों प्राप्त होते हैं।
नीम करौली बाबा ने हमेशा ईश्वर पर विश्वास रखने की बात कही, लेकिन साथ ही कर्म को सर्वोपरि बताया। उनका मानना था कि केवल प्रार्थना से नहीं, बल्कि सही कर्म से जीवन बदलता है। जो व्यक्ति अपने कर्मों पर ध्यान देता है और ईमानदारी से आगे बढ़ता है, उसे किसी के आगे हाथ फैलाने की नौबत नहीं आती।
असली स्पष्टता मन से आती है, जिसके लिए दुनियावी इच्छाओं को छोड़ना और आत्म-चिंतन, अंतर्ज्ञान और आत्म-विश्वास पर ध्यान देना जरूरी है। अपने भीतर झांकने से आप जान पाते हैं कि आप कौन हैं, जिससे आप उन चीजों से मुक्त हो जाते हैं जो आपके किसी काम की नहीं हैं।
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आज के समय में, जब लोग छोटी-छोटी बातों पर निराश हो जाते हैं, नीम करौली बाबा की ये सीख जीवन को सही दिशा देने वाली साबित हो सकती है। यदि इंसान परिश्रम, संतोष, सेवा और सकारात्मक सोच को अपनाए, तो वह न केवल आत्मनिर्भर बन सकता है, बल्कि सम्मान और स्थिरता के साथ जीवन भी जी सकता है।
एक जगह टिकना परेशानी का कारण
जीवन में हमेशा गतिशील रहना और निर्लिप्त व शुद्ध रहना जरूरी है। बाबा ने कहा कि चलता हुआ योगी और बहती हुई नदी… वहां कभी गंदगी, मैल या अशुद्धि नहीं टिकती। अगर मैं यहीं रुक जाऊं, तो लगाव पैदा हो जाएगा।






