केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (फाइल फोटो)
नागपुर. नेता हो या मंत्री, अधिकारियों को कोई फर्क नहीं पड़ता। फाइलें कछुआ गति से आगे बढ़ती हैं। गडकरी के ड्रीम प्रोजेक्ट का भी यही हश्र होता है कोई सुनवाई नहीं होती। इससे शहर के प्रशासनिक तेजी का अंदाज सहज लगाया जा सकता है। गडकरी ने 3 दिसंबर को बहुत आशाओं, आकांक्षाओं के साथ ‘आधुनिक किराना मार्केट’ का भूमिपूजन किया था। मध्यभारत का सबसे शानदार और अहम प्रोजेक्ट होने की उन्होंने घोषणा की थी लेकिन नतीजा वहीं। फाइलें अटका दी गईं। अब तक अटकी हुई हैं। लोग इस दर से उस दर पर भटक रहे हैं, लेकिन मंजूरियां नहीं मिल रही हैं। हालात यह है कि 9 माह बाद भी इस प्रोजेक्ट का निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया है। सूत्रों ने बताया कि फाइलें अब भी नागपुर सुधार प्रन्यास (एनआईटी) के पास ही अटकी-लटकी पड़ी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गर्व से कहते हैं उनके कार्यकाल में फाइलें न अटकी हैं, न लटकतीं है और न ही भटकती हैं। लेकिन उनके मंत्रिमंडल के सबसे बड़े नेता गडकरी के प्रोजेक्ट को ही अधिकारी लटकाए हुए हैं और कोई कुछ नहीं कर पा रहा है। छोटी-छोटी बातों को लेकर महीने-महीने तक फाइलों को इस टेबल से उस टेबल पर भेजा जा रहा है। इसके कारण नागपुर का अत्याधुनिक किराना मार्केट फाइलों में अटक कर रह गया है।
गडकरी के प्रयासों से ही दि इतवारी किराना मर्चेंट एसोसिएशन को 16 एकड़ की जमीन उपलब्ध कराई गई थी। इसके बाद डिजाइन बनने और अंतिम रूप देने में समय लगा। खुद गडकरी इस प्रोजेक्ट को लेकर काफी उत्सुक थे और एक-एक बारीक चीजों पर ध्यान दे रहे थे। नक्शा फाइनल हुआ और एनआईटी को सौंपा गया। इसके बाद से खेल शुरू हो गया। एनआईटी ने पहले पर्यावरण, फायर और एयरपोर्ट क्लियरेंस लाने को कहा। इसमें 3 माह का समय निकल गया। जब सब मंजूरी मिल गई तो एनआईटी ने नया अड़ंगा डाल दिया। खुली जगह पर किसी प्रकार का शेड नहीं बनाने के लिए अंडरटेकिंग की मांग की गई। यह भी निपट गया तो फायर टेंडर को दूसरे माले तक ले जाने के लिए जगह छोड़ने की बात की जाने लगी। कुल मिलाकर एनआईटी इस प्रोजेक्ट को लेकर कोई गंभीरता नहीं दिखा रहा है और प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में जाता हुआ दिखाई दे रहा है।
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इस प्रोजेक्ट पर लगभग 300 करोड़ खर्च आने का अनुमान है। व्यापारी भी काफी इच्छुक हैं और अधिकांश सदस्यों ने इसमें जगह ले ली है। यही कारण है कि 720 दुकानें बनाने का प्रस्ताव है। कुल 14,500 वर्ग मीटर निर्माण कार्य किया जाना है परंतु अब तक बाउंड्रीवाल का ही कार्य हो सका है। इससे सहज अंदाज लगाया जा सकता है कि प्रोजेक्ट का निर्माण कार्य कब शुरू होगा और कब इसे पूर्ण किया जा सकेगा अब कुछ भी कहना मुश्किल है।
अपने ड्रीम प्रोजेक्ट को फाइलों से बाहर निकालने के लिए अब एक ही विकल्प बचा है। इसके लिए खुद अब गडकरी को सुध लेनी पड़ेगी। अधिकारियों को एक संदेश भी देना होगा कि सिटी के अहम प्रोजेक्ट के साथ इस प्रकार की लेटलतीफी ठीक नहीं है। भविष्य में और कोई प्रोजेक्ट केवल मंजूरी के लिए 9 माह तक इंतजार करता रहे यह सिटी के विकास के लिए ठीक नहीं है।
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