भागीमाहेरी टोल प्लाजा (सौजन्य-नवभारत)
Bhagimaheri Toll Plaza: नागपुर जिले की सड़क पर सुंदरता और सुगमता की कीमत अब सावनेर व आसपास के नागरिकों को भारी पड़ रही है। पाटणसावंगी टोल हटाकर 2 अगस्त से भागीमाहेरी में नया टोल शुरू कर दिया गया है। इससे मकान निर्माण करने वालों और ट्रांसपोर्टरों पर लाखों रुपये का अतिरिक्त बोझ आ गया है, जिसका सीधा असर आम जनता की जेब पर पड़ रहा है। पाटणसावंगी टोल प्लाजा लंबे समय से विवादों और आंदोलनों के कारण चर्चा में रहा।
भाजपा और अन्य दलों के कई प्रयासों के बाद इसे हटाया गया और एनएचएआई ने भागीमाहेरी में नया टोल प्लाजा शुरू किया। पहले यहां किसी कंपनी ने बोली नहीं लगाई थी, लेकिन पाटणसावंगी में टोल चलाने वाली कंपनी का पूरा स्टाफ एनएचएआई ने भागीमाहेरी में बैठाकर आय का अनुमान लगाया। नतीजतन, जहां पाटणसावंगी टोल का ठेका प्रतिदिन 10.75 लाख रुपये में हुआ था, वहीं भागीमाहेरी टोल का ठेका 13.26 लाख रुपये प्रतिदिन में दे दिया गया।
उमरी खदानों से गिट्टी, मुरूम और क्रश सैंड ले जाने वाली गाड़ियां प्रतिदिन भागीमाहेरी टोल से होकर गुजरती हैं। सामान्य दिनों में 100 से अधिक और सीजन में 500 से भी ज्यादा फेरे यहां से होते हैं। एक फेरी (आना-जाना) पर औसतन 410 रुपये टोल वसूला जाता है। इससे प्रतिदिन करीब 2.05 लाख रुपये और प्रति माह लगभग 61.50 लाख रुपये का अतिरिक्त बोझ ट्रांसपोर्टरों पर पड़ रहा है।
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पहले पाटणसावंगी टोल पर स्थानीय वाहनों के लिए 350 रुपये मासिक पास की सुविधा थी। लगभग 3,000 गाड़ियों ने यह पास बनवाया था, जिससे हर माह 10.50 लाख रुपये वसूले जाते थे। लेकिन, अब यह राशि कई गुना बढ़ गई है। इसका सीधा असर मकान बनाने वाले परिवारों और सामान्य नागरिकों की जेब पर हो रहा है।
भागीमाहेरी क्षेत्र औद्योगिक और खनिज गतिविधियों के साथ-साथ कृषि उत्पादन का भी केंद्र है। यहां से प्रतिदिन किसानों की सब्जियों से भरी गाड़ियां निकलती हैं। इसी कारण स्थानीय नागरिक और किसान 20 किलोमीटर के दायरे में रहने वालों को टोल फ्री सुविधा देने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि जब अवैध पाटणसावंगी टोल को हटाया जा सकता है, तो स्थानीय जनता को राहत देने के लिए भागीमाहेरी टोल पर छूट मिलनी चाहिए।