कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया व राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू
CM Siddaramaiah Kannada language: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया द्वारा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से कन्नड़ भाषा को लेकर पूछे गए सवाल ने एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। मैसूर में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान सिद्धारमैया ने राष्ट्रपति से पूछा कि क्या उन्हें कन्नड़ आती है, क्योंकि वह अपना भाषण कन्नड़ में देने वाले थे। राष्ट्रपति ने इस सवाल का जवाब बेहद शालीनता से दिया, लेकिन इस घटना को लेकर भाजपा ने मुख्यमंत्री पर निशाना साधा है और इसे राष्ट्रपति का अपमान बताया है। यह घटना भाषाई राजनीति और प्रोटोकॉल पर फिर से एक नई बहस को जन्म दे रही है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि वह देश की हर भाषा, संस्कृति और परंपरा का सम्मान करती हैं। उन्होंने कहा कि वह कामना करती हैं कि सभी लोग अपनी भाषा को जीवित रखें और अपनी संस्कृति को संरक्षित करें। उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा कि वह भी धीरे-धीरे कन्नड़ सीखने का प्रयास करेंगी। हालांकि, इस घटनाक्रम का वीडियो सामने आने के बाद भाजपा ने सिद्धारमैया की टिप्पणी को ‘अहंकार से भरा’ बताया है और सवाल किया है कि क्या उनमें सोनिया गांधी या राहुल गांधी से भी यही सवाल पूछने की हिम्मत है।
The unsavoury incident in Mysuru, where Karnataka CM @siddaramaiah publicly questioned Hon’ble President Droupadi Murmu ji on whether she understood Kannada, reeked of arrogance, condescension and political posturing.
This is no way to treat a guest to our State, let alone the… pic.twitter.com/ewKRxQuQ0c
— Vijayendra Yediyurappa (@BYVijayendra) September 3, 2025
इस घटना के बाद, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र ने सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने मुख्यमंत्री की टिप्पणी को ‘अपमानजनक और राजनीतिक दिखावे से भरा’ बताते हुए कहा कि यह राज्य की मेहमान-नवाजी की परंपरा के खिलाफ है। विजयेंद्र ने आगे लिखा कि कन्नड़ हमारा गौरव है, लेकिन भाषा को लोगों को जोड़ना चाहिए, न कि इसका इस्तेमाल किसी को नीचा दिखाने के लिए किया जाना चाहिए। कर्नाटक में कन्नड़ भाषा के प्रचार-प्रसार से जुड़े कई कानून लागू हैं। इनमें कन्नड़ भाषा लर्निंग एक्ट-2015 और कर्नाटक एजुकेशनल इंस्टीट्यूट रूल-2022 प्रमुख हैं।
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कर्नाटक में कन्नड़ भाषा के संरक्षण को लेकर पहले भी कई आंदोलन हुए हैं। हाल ही में बेंगलुरु में दुकानों के साइनबोर्ड पर कन्नड़ भाषा के इस्तेमाल को लेकर विवाद हुआ था। इसके अलावा, महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा पर बसों पर कन्नड़ साइनबोर्ड नहीं होने के कारण बस सेवाओं को भी रोकना पड़ा था। सिद्धारमैया सरकार के नियमों के मुताबिक, सभी सरकारी और निजी संस्थानों, स्कूलों, कॉलेजों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में कन्नड़ भाषा को प्राथमिकता देना अनिवार्य है। सामानों की पैकेजिंग और विज्ञापनों में भी कन्नड़ भाषा का इस्तेमाल अनिवार्य है।