पनवेल का तहसीलदार निलंबित (pic credit; social media)
Panvel Tahsildar suspended: पनवेल के तहसीलदार विजय पाटिल को सेवा से निलंबित कर दिया गया है। उन पर आरोप है कि उन्होंने जमीन सौदे में नियमों की अनदेखी करते हुए गैरकानूनी तरीके से अनुमति दी थी। यह मामला 2007 का है जब मेसर्स मैराथन पनवेल इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड ने पनवेल तहसील के वारदोली, पोयंजे, भिंगरवाड़ी, भिंगर, पाली बुद्रुक और भेरले गांवों में औद्योगिक उपयोग के लिए जमीनें खरीदी थीं।
नियमों के अनुसार इन जमीनों पर धारा 63(1A) के तहत आवश्यक प्रक्रिया का पालन करना जरूरी था। लेकिन तहसीलदार विजय पाटिल ने नियमों की अनदेखी करते हुए इन जमीनों को गैर-कृषि (NA) उपयोग का अधिकार पत्र जारी कर दिया। मामले की जानकारी सामने आने के बाद तत्काल कार्रवाई करते हुए उन्हें निलंबित कर दिया गया।
प्रशासन का कहना है कि पाटिल का यह कदम महाराष्ट्र सिविल सेवा (आचरण) नियम 1979 के नियम 3 का उल्लंघन है। निलंबन के दौरान वे जिला कलेक्टर की पूर्व अनुमति के बिना मुख्यालय नहीं छोड़ सकेंगे। साथ ही उन्हें नियमानुसार निर्वाह भत्ता तो मिलेगा लेकिन किसी भी निजी नौकरी या व्यवसाय से जुड़ने पर यह सुविधा रोक दी जाएगी।
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इस आदेश में स्पष्ट किया गया है कि यदि जांच में विजय पाटिल दोषी साबित होते हैं तो उनके खिलाफ कड़ी विभागीय कार्रवाई की जाएगी। सूत्रों का कहना है कि जमीन सौदों में पारदर्शिता और सरकारी नियमों का पालन सुनिश्चित करने के लिए यह कदम बेहद सख्ती से उठाया गया है।
स्थानीय स्तर पर इस घटना ने हलचल मचा दी है। पनवेल क्षेत्र में जमीन खरीद-फरोख्त को लेकर पहले भी विवाद उठते रहे हैं और इस कार्रवाई को भ्रष्टाचार व नियम उल्लंघन पर रोक लगाने की दिशा में अहम माना जा रहा है। प्रशासन ने साफ किया है कि किसी भी सरकारी अधिकारी द्वारा नियमों की अनदेखी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। वर्तमान में इस पूरे प्रकरण की गहन जांच जारी है। जांच रिपोर्ट आने के बाद ही पाटिल के भविष्य पर अंतिम फैसला लिया जाएगा। हालांकि निलंबन से यह संकेत मिल चुका है कि सरकार इस मामले में ढिलाई बरतने के मूड में नहीं है।