कैबिनेट मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा (pic credit; social media)
Maharashtra Skills Department: महाराष्ट्र के कौशल, उद्यमिता, रोजगार और नवाचार मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा ने मंगलवार को एक बड़ा फैसला लेते हुए कहा कि अब कौशल विभाग की संस्थाओं में सभी अनुसंधानात्मक कार्य और परामर्श की जिम्मेदारी केवल भारतीय कंपनियों को ही दी जाएगी। इसका सीधा मतलब है कि विदेशी कंपनियों को अब इस क्षेत्र में जगह नहीं मिलेगी और स्वदेशी कंपनियों का दबदबा बढ़ेगा।
मंत्री लोढ़ा ने बताया कि आईटीआई में चलने वाले विभिन्न कोर्स, रोजगार से जुड़ी रिसर्च रिपोर्ट, कार्यशालाएं और नीति निर्माण से जुड़े सभी कार्य अब विदेशी कंपनियों के बजाय भारतीय कंसल्टेंसी कंपनियों को सौंपे जाएंगे। इसके लिए कौशल विभाग जल्द ही व्यवसाय शिक्षा एवं प्रशिक्षण संचालनालय को नई नियमावली भेजेगा।
मंत्री लोढ़ा कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 साल पहले “मेक इन इंडिया” का नारा दिया था। इस पहल ने न सिर्फ उद्योग जगत को नई दिशा दी बल्कि भारतीय कंपनियों और स्टार्टअप्स को भी वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई। इसी सोच को आगे बढ़ाते हुए महाराष्ट्र सरकार ने अब कौशल विभाग में भी स्वदेशी कंपनियों को प्राथमिकता देने का फैसला किया है।
मंत्री लोढ़ा ने यह भी बताया कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के मार्गदर्शन में राज्य की विभिन्न व्यवसाय शिक्षा और प्रशिक्षण संस्थाओं में अत्याधुनिक बदलाव किए जा रहे हैं। इन बदलावों में अब भारतीय विचारधारा को मजबूत करने वाली कंसल्टेंसी कंपनियों की भी अहम भागीदारी होगी।
यह निर्णय कौशल विभाग के अंतर्गत आने वाले रतन टाटा महाराष्ट्र कौशल विश्वविद्यालय, महाराष्ट्र राज्य नवाचार सोसायटी और रोजगार सेवायोजन कार्यालयों समेत सभी संबद्ध एजेंसियों पर लागू होगा।
सरकार का मानना है कि इस कदम से भारतीय युवाओं को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के अनुरूप तैयार किया जा सकेगा। साथ ही, देश में उच्च दर्जे के कुशल कारीगर और प्रोफेशनल्स तैयार होंगे। अनुसंधान और परामर्श से जुड़े कार्यों में भारतीय कंपनियों की भागीदारी से न केवल भारतीय अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी बल्कि भारतीय कंपनियों की प्रतिष्ठा भी विश्व स्तर पर बढ़ेगी।
प्रधानमंत्री मोदी ने वर्ष 2047 तक भारत को आर्थिक महाशक्ति बनाने का लक्ष्य रखा है। महाराष्ट्र सरकार का यह फैसला उसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।