सुरक्षा विधेयक के खिलाफ विपक्ष का आंदोलन (pic credit; social media)
Maharashtra Special Public Security Bill: महाराष्ट्र की सियासत एक बार फिर गरमा गई है। सरकार द्वारा पेश किए गए महाराष्ट्र विशेष सार्वजनिक सुरक्षा विधेयक 2024 को लेकर विपक्ष और सामाजिक संगठनों ने आज से राज्यभर में आंदोलन का बिगुल फूंक दिया है। विपक्षी नेताओं का आरोप है कि यह कानून लोकतांत्रिक मूल्यों और नागरिक स्वतंत्रता पर सीधा हमला है।
एनसीपी प्रमुख शरद पवार, शिवसेना (उद्धव गुट) के नेता उद्धव ठाकरे और कांग्रेस ने इस विधेयक को असंवैधानिक करार देते हुए इसे तुरंत वापस लेने की मांग की है। विपक्ष का कहना है कि इस कानून के जरिए आम नागरिकों की आवाज दबाने और आंदोलनकारियों को अपराधी बनाने की कोशिश की जा रही है।
आंदोलन की शुरुआत आज यानी 10 सितम्बर से हो रही है। इसकी शुरुआत शिवाजी महाराज, डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर और महात्मा गांधी की प्रतिमाओं के सामने प्रतीकात्मक विरोध से की जाएगी। नेताओं का कहना है कि इन महापुरुषों ने नागरिकों के अधिकार और आज़ादी की लड़ाई लड़ी थी और सरकार उनके आदर्शों के खिलाफ जाकर जनता को दबाने की कोशिश कर रही है।
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विपक्षी दलों ने घोषणा की है कि यह विरोध केवल प्रतीकात्मक नहीं रहेगा बल्कि आने वाले दिनों में इसे और व्यापक बनाया जाएगा। खासतौर पर 2 अक्टूबर, गांधी जयंती के दिन राज्यभर में बड़े स्तर पर रैली और आंदोलन की योजना है। विपक्ष का दावा है कि लाखों लोग इस प्रदर्शन में शामिल होंगे।
सरकार की ओर से फिलहाल इस विधेयक को लेकर ज्यादा सफाई नहीं दी गई है। हालांकि ruling पार्टी का कहना है कि यह कानून राज्य की सुरक्षा को मजबूत करने और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए जरूरी है। लेकिन विपक्ष इसे “जनता की आवाज़ कुचलने का औजार” बता रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह विधेयक लागू हुआ तो इसके तहत पुलिस और प्रशासन को अतिरिक्त अधिकार मिल जाएंगे। इससे किसी भी विरोध प्रदर्शन को आसानी से गैरकानूनी घोषित किया जा सकेगा। यही कारण है कि विपक्ष ने इसे जनता की आज़ादी के खिलाफ बताया है।
महाराष्ट्र की राजनीति में यह मुद्दा अब केंद्र बिंदु बन चुका है और आने वाले दिनों में इसका असर सीधे तौर पर सरकार और विपक्ष के समीकरणों पर भी पड़ेगा।