अमित साटम BMC आयुक्त को पत्र (pic credit; social media)
Amit Satam Letter to BMC Commissioner: मुंबई में तेजी से घटते खाली स्थानों को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है। मुंबई बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष और विधायक अमित साटम ने बीएमसी आयुक्त को पत्र लिखकर स्पष्ट मांग की है कि खाली भूमि को निजी संस्थाओं को न दिया जाए। उन्होंने कहा कि बीएमसी की मौजूदा अस्थायी नीति अस्पष्ट है और इससे नागरिकों के बीच संदेह और असुरक्षा की भावना बढ़ रही है।
साटम ने कहा कि बीएमसी द्वारा बनाई गई नीति निजी पक्षों, ट्रस्टों या संगठनों को 11 महीने के अनुबंध पर खाली भूखंडों के रखरखाव की अनुमति देती है। लेकिन इससे खतरा है कि इन स्थानों पर धीरे-धीरे स्थायी कब्जा हो सकता है और बाद में इन्हें क्लब, जिम या वाणिज्यिक उपयोग में बदला जा सकता है। यही कारण है कि इस नीति को फिलहाल स्थगित करना जरूरी है।
उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि इन खाली स्थानों को बचाने और उनके रखरखाव के लिए बीएमसी को निजी संस्थाओं के बजाय खुद पहल करनी चाहिए। विधायक साटम ने प्रस्ताव रखा कि बीएमसी इन खाली स्थानों से राजस्व जुटाने के लिए विज्ञापन और अन्य वैकल्पिक माध्यमों का इस्तेमाल करे। उनका कहना है कि अगर बीएमसी सही नीति तैयार करे तो शहर के नागरिकों को भी खाली जगहों का उपयोग सामुदायिक गतिविधियों, खेल और मनोरंजन के लिए मिल सकेगा।
साटम ने पत्र में यह भी उल्लेख किया कि खाली भूखंडों को लेकर अभी कोई व्यापक नीति नहीं है। इसी वजह से जमीन के भविष्य को लेकर लोग असमंजस में हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि मुंबई जैसे घनी आबादी वाले शहर में खुले स्थान लगातार घट रहे हैं और इनकी रक्षा करना ही बीएमसी की पहली जिम्मेदारी होनी चाहिए।
नागरिक संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी कई बार इस मुद्दे पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि अगर खाली स्थानों को सुरक्षित नहीं रखा गया तो आने वाले समय में बच्चों और बुजुर्गों के पास खेलने और टहलने की जगह भी नहीं बचेगी।
बीएमसी आयुक्त से अब उम्मीद की जा रही है कि वह इस पत्र को गंभीरता से लेते हुए मौजूदा नीति पर पुनर्विचार करेंगे। शहर के नागरिक भी इस मुद्दे पर एक स्पष्ट और पारदर्शी नीति की मांग कर रहे हैं।